नंगे पांव गांव संवारने चला एक पूर्व नौकरशाह

1998
  • पूर्व आईएएस कमल टावरी लोगों को कर रहे जागरूक
  • शिक्षा, संतों और पत्रकारों से समृद्धि की बात

बात 1985 की है। डा. कमल टावरी फैजाबाद के कमिश्नर थे। यूपी के तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह को अयोध्या मामले में एक छोटी सी सलाह दी तो सीएम साहब भड़क गये, और लखनऊ जाते ही उनको खादी ग्रामोद्योग में तबादला कर दिया। उस समय इसे पनिशमेंट पोस्टिंग माना जाता था। आज भी है। स्वाभिमान की बात थी। इस्तीफा देते तो खाते क्या? चरण वंदना करते तो स्वाभिमान रहता क्या? तो बीच का रास्ता निकाला कि खादी में ही कुछ किया जाए।
मूल रूप महाराष्ट्र निवासी कमल टावरी ने 15 साल खादी को दिये और यूपी खादी ग्रामोद्योग की दशा और दिशा बदल दी। केंद्रीय गृह सचिव भी रहे तो खादी से जुड़े रहे और खादी को ही अपना लिया। धोती-कुर्ता पहनते हैं। जूता नहीं पहनते; कभी-कभी चप्पल पहन लेते हैं लेकिन अक्सर नंगे पांव चलते हैं। 2006 में वो रिटायर हो गये और तब से लगातार गांवों में सस्टेनेबल डिवलेपमेंट की बात कर रहे हैं। इन दिनों वह देहरादून आए हैं और नई पीढ़ी को संस्कार और अपनी माटी थाती के साथ जुड़ने की सीख दे रहे हैं। वह गांवों के अर्थशास़्त्र को बदलना चाहते हैं। गांव, गाय, गोबर, पेड, फल से गांव को समृद्ध बनाने की सोचते हैं। धरातल पर काम भी कर रहे हैं। वो मार्केटिंग द अनमार्कड इंडिया की बात करते हैं यानी नई संभावनाओं की। वह क्लाइमेट इमरजेंसी और चहुंमुखी विकास अवसरों को तलाशने में जुटे हैं। 76 साल की उम्र में भी उनका जज्बा देखने लायक है। काश, हमारे प्रदेश के नौकरशाह इनसे कुछ सीखते।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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