दिलों को जोड़ता है यह हड्डियों का डाक्टर

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  • पहाड़ के लिए धड़कता है डा. जयंत नवानी का दिल
  • गांवों में बच्चों की शिक्षा और युवाओं को स्वरोजगार के लिए चिन्तित

अधिक उम्र और डायबिटीज के रोगी होते हुए भी डा. जयंत नवानी कोरोना काल में पौड़ी के गांव-गांव घूम रहे थे। वह ग्रामीणों को कोरोना से बचाव के प्रति जागरूक भी कर रहे थे और गांव लौटे प्रवासी युवाओं को प्रेरित कर रहे थे कि वह स्वरोजगार अपनाएं। उम्र के इस पड़ाव में हर सफल व्यक्ति शांत जीवन की चाहत रखता है, लेकिन डाक्टर नवानी आज भी पहाड़ और समाज के लिए समर्पित हैं। स्मृति वन में पेड़ लगाना हो या एक कोना कक्षा का हो, फूलदेई पर्व हो या हरेला। डा. नवानी हर जगह मिलेंगे। गुरुद्वारे का लंगर हो या धार्मिक अनुष्ठान। डा. नवानी का योगदान समाज के हर वर्ग को मिला है। रोटरी क्लब के अलावा वह कई धार्मिंक और सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हैं।
दून नर्सिंग होम देहरादून का पहला मल्टीस्पेश्यलिटी हास्पिटल है। पहले इसे पहाड़ियों का अस्पताल भी कहा जाता था। यहां पहाड़ के दिग्गज डाक्टरों ने मरीजों की सेवा की है। डा. जयंत नवानी का पूरा परिवार डाक्टर है। डाक्टर और मरीज के बीच के विश्वास का रिश्ता है, इसकी पहचान डा. नवानी हैं। उनके पास दूरस्थ गांवों के मरीज आते हैं, अक्सर उनसे फीस भी नहीं लेते। एक बात और डा. नवानी अपने करियर के शुरुआत में भी ईरान और ओमान में चले गए थे, लेकिन माटी की खुशबू उन्हें अधिक समय तक वहां नहीं रोक सकी और वह अपने पहाड़ लौट आए।
दिलों को जोड़ने वाले आर्थो सर्जन डा. जयंत नवानी को उत्तरजन टुडे 1 मई को सम्मानित करते हुए गर्व की अनुभूति कर रहा है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

#dr jayant nawani dehradun

ये नौकरशाही है जनाब! डा. उनियाल और डा. सिन्हा में नाम का अंतर है!

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