- कांग्रेसी महारथियों की रणनीति, मलाई मैं खाऊं, नीम-कसैला तू खा, तू खा
- रणछोड़ दास नेताओं के सहारे सत्ता की सीढ़ी नहीं चढ़ सकती कांग्रेस
चम्पावत विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चुनौती देने के लिए सभी दिग्गज कांग्रेसी अपने घरों में दुबक गये। चाहे वो हरीश रावत हों या 35 सीटों पर अपना प्रभाव दिखाने वाले हरक सिंह रावत। दो महीने पहले कांग्रेसी टिकट के लिए दर-दर माथा टेकने वाला उम्मीदवार हेमेश खर्कवाल भी रणभूमि से लापता हैं। उन्हें 26 हजार वोट मिले। जनता का अथाह विश्वास। महज 5469 वोटों से ही तो हारे हेमेश खर्कवाल। मैदान में उतार दिया निर्मला गहतोड़ी को। यानी युद्ध लड़ने से पहले ही हार मान ली। वाकओवर।
यानी सत्ता की मलाई खानी हो तो उस समय तो कांग्रेस के दिग्गज नेता आपस में एक-दूसरे से गुत्थम-गुत्था हो जाते हैं, लेकिन जब चुनौती हो, हौसला दिखाना हो तो पीठ दिखा जाते हें कांग्रेसी नेता। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। कांग्रेसी महारथियों की दुम दबाकर भागने की परम्परा है। मैंने एक वरिष्ठ कांग्रेसी से पूछा कि उपचुनाव में बलि के लिए महिला का ही चुनाव क्यों? वह बिदक जाते हैं। कहा, मैं चुनाव समिति में नहीं था। न ही किसी की राय ली गयी। न ही यह टिकट सोनिया गांधी ने दिया। यह सवाल किसने दिया? हरीश रावत ने या प्रभारी देवेंद्र यादव ने। मैंने सवाल किया कि खानापूर्ति क्यों? तो सहज हो गये। बोले, हेमेश को उतरना चाहिए था।
आखिर हेमेश को टिकट क्यों नहीं दिया गया? क्या उन्होंने मना कर दिया? यदि हां, तो ऐसे नेता का पार्टी से निलंबन होना चाहिए। इस पर वह सहमत हो गये। कहा, आम चुनाव में टिकट के लिए मारे-मारे फिरो और जब कठिन परीक्षा का वक्त आया तो रफूचक्कर। तो क्या हेमेश डर गये?
2019 पिथौरागढ़ उपचुनाव में चंद्रा पंत के आगे कांग्रेस के मयूख महर ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। अंजू लुंठी को उतारा गया और वह बुरी तरह से पराजित हो गयी। 2021 के सल्ट उपचुनाव में कुमाऊं की बेटी गंगा पंचौली को मैदान में उतारा वह भी हार गयी। तर्क दिया गया कि चूंकि वह पहले भी चुनाव लड़ी थी, इसलिए उतारा गया। और अंब निर्मला गहतोड़ी प्रकट हो गयी है राजनीति की बलिवेदी पर चढ़ने के लिए मोहरा।
दरअसल, हरदा को चुनाव हारने की आदत है। एक और चुनाव हार जाते तो कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका बड़ा नाम है। जनता के बीच संदेश जाता कि सीएम को आसानी से नहीं जीतने दिया। कांग्रेस जनता की लड़ाई के लिए चिन्तित है। हेमेश ही लड़ते तो भी 26 हजार लोगों ने उन्हें हाल में वोट दिये थे। बेशक फिर हार जाते, लेकिन जनता के दिलों पर राज करते। यूं मैदान से भागने वाले रणछोड़ दासों के सहारे कांग्रेस सत्ता की सीढ़ियां कभी नहीं चढ़ पाएगी।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]