जोशीमठ मर रहा है, कोई तो बचा लो इसे

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  • बारूद के ढेर पर जोशीमठ, विकास की अंधी दौड़ लेगा बलि
  • ठेकेदारों, अफसरों, नेताओं और दलालों को कमाने हैं पैसे, भुगतेगी जनता

सुप्रीम कोर्ट ने बदरीनाथ हाईवे पर प्रस्तावित हेलंग-मारवाड़ी बाईपास मार्ग निर्माण कार्य को हरी झंडी दे दी है। इसके बाद जोशीमठ से 13 किलोमीटर दूर स्थित इस बाईपास का निर्माण कार्य जल्द शुरू हो जाएगा। जोशीमठ बचाओ समिति हार गयी और सरकार विकास रूपी रोडमेप को लेकर सुप्रीम कोर्ट को समझाने में हर बार की तरह कामयाब हो गयी कि सामरिक महत्व की बात है। युद्ध के लिए चौड़ी सड़के चाहिए। चीन से लड़ना है। अब सरकार को कौन समझाए कि जब जिंदा रहोगे तो ही चीन से लड़ोगे। सड़क के रूप मौत का सामान तैयार हो रहा है और नेता, अफसर, इंजीनियर्स ठेकेदार और दलाल बर्बादी की इस दास्तां को विकास की होड़ बता रहे हैं। इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है कि हेलंग में जो सुरंग बन रही थी और वहां जो मशीन 2009 से फंसी है, उसके क्या कारण हैं?
हालांकि तीर्थयात्रियों के लिए खुशी की बात है कि बाईपास निर्माण से बदरीनाथ की दूरी 30 किलोमीटर कम हो जाएगी। उधर, इस प्रोजेक्ट के बाद जोशीमठ की मौत और करीब आती जा रही है। पिछले साल यहां हाथी पांव के पेट वाला हिस्सा टूट कर अलकनंदा में समा गया था तो एक इमारत भी जमींदोज हो गयी थी। दरअसल, यह नगर कच्ची चट्टानों और रेत के ढेर पर बसा हुआ है जो धीरे-घीरे धंस रहा है।
नगर के कई इलाकों के घरों में बड़ी और गहरी दरारें, सड़कों पर गहरे गड्ढ़े, नरसिंग मंदिर की सड़क पर बन रहे गड्ढे बहुत कुछ कहानी कहते हैं। जोशीमठ के रविग्राम, सुनील ग्राम, छावनी बाजार, औली रोड में घर और सड़कों में दरारों का क्रम जारी है। वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट ने इस संबंध में अपने यूटयूब चैनल बात बोलेगी के माध्यम से जोशीमठ के घंसने की कहानी से संबंधित बहुत से सवाल उठाए हैं। उनकी यह रिपोर्ट जमींदोज होता जोशीमठ के नाम से है।
पिछले साल जब हाथ पांव का पेट वाला हिस्सा टूटा था तो मैंने यूसैक के डायरेक्टर डा. एमपीएस बिष्ट और कई जियोलॉजिस्ट से बात कर रिपोर्ट तैयार की थी कि किस तरह से जोशीमठ मौत के मुहाने पर है। मिश्रा कमेटी ने 1977 में इसे खतरनाक करार दिया था। कई सुझाव दिए गए थे और इसमें कहा गया था कि बड़े निर्माण न हों। लेकिन जोशीमठ में बड़े पैमाने पर निर्माण और नगर का विस्तार जारी है।
अब इसे विकास की अंधी होड ही कहेंगे जो धीरे-धीरे एक नगर को मौत के आगोश में धकेल रही है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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