- इन्होंने तो जमीन खरीदी, बेचारे पीड़ित हैं आरोपी नहीं
- कसूरवार तो वो लेखपाल शीतला प्रसाद है जिसने एफआईआर की
भला बताओ, क्या जमाना आ गया। भोले-भाले और जमीन से जुड़े नेता-नौकरशाहों के परिजन के खिलाफ यूपी के दादरी में एफआईआर कर दी गई। पीड़ित पक्ष को ही आरोपी बना डाला। बेचारे नौकरशाहों के सास, ससुर और मां ने कोई गुनाह थोड़ी किया कि उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। इन्होंने तो जमीन खरीदी। ये बेचारे तो पीड़ित हुए, न कि गुनाहगार। ये तो ठगी के शिकार हुए हैं। असल गुनाहगार तो वो हैं जिन्होंने जमीन बेची। और सबसे बड़ा गुनाहगार तो दादरी का वो लेखपाल शीतला प्रसाद है जिसने इतने नेक और अच्छे इंसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई।
दादरी की लेखपाल ही असली गुनाहगार है। अच्छा किया कि डीएम साहब ने उसे सस्पेंड कर दिया। भला, यह भी नहीं जानता कि किन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवा रहा है। नाम से ही पता चल रहा है कि कितना शीतल है, शीतला प्रसाद। मेरा तो कहना है कि शीतला प्रसाद को यासीन मलिक से भी अधिक बड़ी और कड़ी सजा मिलनी चाहिए। भला नौकरशाहों के मां-बाप और सास-ससुर की इज्जत है कि नहीं। बेचारे सीनियर सिटीजन्स बुढ़ापे में जगहंसाई के पात्र बन गये। अब देखो क्या होता है। एक आईएएस की पत्नी का घर पर इलाज न हुआ तो डाक्टर की नौकरी चली गयी। बच्चू शीतला प्रसाद तुझे तो शीतल ही बनना होगा। कूल-कूल नेता और नौकरशाह और जनता फूल-फूल।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]