क्या पौड़ी हादसे की बस का फिटनेस हुआ था?

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  • पहाड़ पर बसों और मैक्स चलाने के नियम हों सख्त
  • यदि फिटनेस न हुई हो तो आरटीओ पर हो कड़ी कार्रवाई

पौड़ी बस हादसे में मारे गये सभी लोगों को विनम्र श्रद्धांजलि। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना। इस हादसे में अब तक 23 लोगों के मारे जाने की सूचना है। पौड़ी के आपदा प्रबंधन अधिकारी दीपेश काला ने बताया कि राहत और बचाव कार्य जारी है। सीएम भी घटनास्थल पर पहुंचे। मृतकों के परिजनों और घायलों को मुआवजे की भी घोषणा हो गयी। डीएम ने थैलीसैंण के एसडीएम को मजिस्ट्रयल जांच अधिकारी नामित किया है।
यह कोई पहला हादसा नहीं हुआ है। पर्वतीय मार्गों पर अक्सर इस तरह के हादसे होते रहे हैं। मैं लंबे समय से मांग कर रहा हूं कि पर्वतीय जिलों में वाहनों की फिटनेस और उनकी गति पर अंकुश लगना चाहिए। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि बस ओवरलोडेड रही होगी क्योंकि पर्वतीय मार्गों पर चलने वाली बसों में इतनी सवारियां आती नहीं। मैं यह जानना चाहता हूं कि जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई तो क्या वह पर्वतीय मार्ग पर चलने योग्य थी। बस का फिटनेस कैसा था? क्या ड्राइवर को पर्वतीय मार्ग पर चलने का अनुभव था? क्या लंबी दूरी पर चलने से पहले बसों की जांच होती है। मसलन, जैसे हम अपनी कार को लांग ड्राइव से पहले इंजन, ब्रेक आयल, कूलैंट आदि चैक करते हैं तो क्या इन बसों और मैक्स यानी ट्रैकर की जांच होती होगी? पर्वतीय जिलों की सड़कें संकरी होती हैं और कई जगह खस्ताहाल भी। ऐसे में पट्टा, कमानी टूटने की आशंका लगातार बनी रहती है। यदि वाहन फिट नहीं है तो ऐसे में हादसे की आशंका बढ़ जाती है।
आरटीओ भ्रष्टाचार का एक बड़ा अड्डा है। यहां वाहनों की फिटनेस का बड़ा खेल होता है। दलाल बिना चैकिंग के ही फिटनेस करवा देते हैं। कई बार यही दलाली लोगों की जान के लिए मुसीबत बन जाती है। यदि दुर्घटनाग्रस्त बस का फिटनेस नहीं था या बस पुरानी थी तो संबंधित आरटीओ पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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