त्रिवेंद्र सिंह रावत बनाम उमेश कुमार

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  • आसान भाषा में समझिए क्या है मामला?
  • 22 नवम्बर को होनी है मामले पर सुनवाई

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत अभी दिल्ली से देहरादून के रास्ते में हैं। एक लंबी लड़ाई और बेचैनी के बाद वह पार्टी हाईकमान को मनाने में सफल रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में उमेश कुमार के खिलाफ जो विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी है, वह वापस नहीं ली जाए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कल कहा था कि एसएलपी वापस नहीं होगी। इसके बाबत सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल को बता दिया गया है। अब इस मामले की सुनवाई 22 नवम्बर को होनी है।
दरअसल, तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार को अस्थिर करने के आरोप में पुलिस ने उमेश कुमार के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया। यह शिकायत हरेंद्र सिंह रावत ने की थी। इसका आधार एक वीडियो बनाया गया। इसके खिलाफ उमेश कुमार अक्टूबर 2020 में हाईकोर्ट की शरण में गये। हाईकोर्ट के जस्टिस रविंद्र मैठाणी ने सुनवाई में राजद्रोह के आरोप खारिज किये और कहा कि झारखंड के अमृतेश चौहान रिश्वत मामले की जांच दो दिनों की अवधि में सीबीआई को दी जाए।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद त्रिवेंद्र सरकार में भूकंप की सी स्थिति हो गयी। महज 24 घंटे में प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गयी और हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में कहा कि सबूत मिले हैं कि उमेश कुमार ने त्रिवेंद्र सरकार को गिराने का षडयंत्र रचा। इसलिए राजद्रोह की धारा लगाई गयीं। सीबीआई जांच के आदेश को इसलिए चुनौती दी गयी कि त्रिवेंद्र रावत ने तर्क दिया कि मैं यानी त्रिवेंद्र सिंह रावत हाईकोर्ट में पार्टी नहीं था। केस हरेंद्र सिंह रावत का था। ऐसे में हाईकोर्ट को त्रिवेंद्र सिंह रावत का पक्ष भी सुनना चाहिए था। तर्क दिया गया है कि प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत कहता है कि जिसके खिलाफ आदेश दिया जा रहा है तो उसका पक्ष भी सुना जाएं। एसएलपी में कहा गया है कि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने ऐसा किया ही नहीं, उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए। त्रिवेंद्र के अधिवक्ताओं का कहना है कि झारखंड मामला उनके चुनाव लड़ने के समय का है। सीएम बनने के बाद का नहीं। यदि चुनाव लड़ने के लिए पैसे लिए भी गये हैं तो ऐसा हर नेता या राजनीतिक दल करते हैं।
सूत्रों के मुताबिक एसएलपी की पहले दिन सुनवाई के दौरान ही जस्टिस ने उमेश के अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि क्या आपने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी। बताया जाता है कि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मना कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे दिया था। सुप्रीम कोर्ट अब हरेंद्र सिंह, राजद्रोह और सीबीआई जांच संबंधी तीनों मामलों की एकसाथ सुनवाई करेगी।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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