गरीब की लुगाई, सबकी भौजाई!

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  • कोश्यारी के नाम पर सरकार से मांगी जा रही रंगदारी का हिसाब कौन लेगा?

न्यूज पोर्टल चला रहे सात पत्रकारों पर पुलिस ने रंगदारी का केस दर्ज किया है। मामला 50 लाख का बताया जा रहा है। पोर्टल पत्रकारों की हालात देख कर तो लगता नहीं कि इतनी बड़ी रकम मांगी होगी। खैर, रंगदारी तो रंगदारी है। सोशल मीडिया से नेशनल मीडिया के लिए यह बड़ी खबर बन गयी है। लेकिन उन पत्रकारों के खिलाफ कब केस दर्ज होगा जो सरकार से ही रंगदारी मांग रहे हैं और सरकार दे भी रही है। मसलन, कई दैनिक राष्ट्रीय अखबार एक हजार कापी भी नहीं छपते पर लाखों रुपये महीने ले रहे हैं। फाइल कापी छापने वाले अखबार, मैगजीन और छदम पोर्टल संचालकों को सरकार 2 लाख, 5 लाख के विज्ञापन दे देती है।
सरकार के एक साल पूरा होने पर किसी वायरस न्यूज के पत्रकार की कापी टेबल बुक देख रहा था। सीएम धामी से भी बड़ा फोटो खुद का लगा दिया। कापी टेबल बुक देखकर लग रहा है कि शादी की एलबम बना दी। इसको भी तो सरकार ने रंगदारी दी होगी। कोश्यारी के नाम पर इमोशनल रंगदारी मांगी जा रही है, उसका संज्ञान कौन लेगा?
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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