इसे क्या कहें, तरक्की या बाजीगिरी!

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  • 2005 में नर्स बना रामकुमार अब है प्रिंसीपल और रजिस्ट्रार
  • गर्वनर और सीएम पोर्टल समेत ढेरों शिकायतें, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं

अलग राज्य के लिए जिन्होंने आंदोलन किया, उन्हें क्षैतिज आरक्षण के लिए भी तरसना पड़ रहा है लेकिन जुगाडू और कमाऊ देश के किसी भी कोने से आ जाएं तो वह उत्तराखंड पर राज करता है। ऐसी ही तरक्की की कहानी राजस्थान से आए एक मेल नर्स रामकुमार शर्मा की भी है। बताया जाता है कि रामकुमार शर्मा पूरे स्वास्थ्य विभाग का लाड़ला है। नीचे से लेकर सचिवालय तक। उसके लाडले होने का सबूत यह है कि वह नर्सिंग स्कूल और कालेज का प्रिंसीपल है और नर्सिंग रजिस्ट्ररार भी है। पूरे प्रदेश के भी नर्सिंग कालेजों पर राज बताया जाता है उसका। उसके पास अहम जिम्मेदारी है कि प्रदेश भर के नर्सिंग कालेज की जांच में नोडल अधिकारी की। चाहे तो दो कमरों में नर्सिंग कालेज की अनुमति दे दें, चाहे तो क्रिकेट स्टेडियम जैसे कालेज को भी छोटा बता कर मानकों का हवाला देकर उसकी अनुमति खारिज कर दे। यानी यदि रामकुमार शर्मा न हो तो प्रदेश में नर्सिंग विभाग पर ताला लटक जाएगा।
जो जानकारी मिली है वह हैरत अंगेज है। रामकुमार शर्मा 2004 में आगरा के मेंटल हास्पिटल में नर्स था। इसके बाद चमत्कारिक ढंग से वह 2005 में उत्तराखंड में नर्स बन गया। उसे धारचुला में नर्स के तौर पर पोस्टिंग मिली। इसके बाद कैसे वह देहरादून आया। डोईवाला से स्थायी निवास का प्रमाणपत्र बनाया। और किस तरह से नियमों को ताक पर रखकर प्रिंसीपल या रजिस्ट्ररार बन गया, यह गूढ़ पहेली है। नियमों के अनुसार एमएससी नर्सिंग करने के 15 साल बाद ही किसी को प्रिंसीपल बनाया जा सकता है। रामकुमार ने कब यह डिग्रियां हासिल कीं? पता नहीं।
खैर, इससे भी अधिक चिन्ता की बात यह है कि रामकुमार पहाड़ के बच्चों को नर्सिंग के रजिस्ट्रेशन के लिए बहुत परेशान करता है। नर्सिंग की छात्राओं को कभी भी, किसी भी वक्त कैबिन में बुला लेता है। एक छात्रा ने तो सीएम पोर्टल पर इस साल 20 फरवरी को क्रमांक संख्या 433806 के तहत शिकायत की। रजिस्ट्ररार पद पर भ्रष्टाचार को लेकर अनुसचिव सुनील कुमार सिंह ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से 5 अप्रैल 2022 को एक पत्र लिखा। जांच क्या हुई, अब आरटीआई से पता करूंगा। एक शिकायत पर राजभवन ने भी रामकुमार के मामले में विभाग से आख्या मांगी।
संयुक्त सचिव अरविंद पांगती ने भी निदेशक शिक्षा चिकित्सा से रामकुमार मामले में भ्रष्टाचार को लेकर आख्या मांगी। पता नहीं, सभी जांच कहां जाती हैं। अपर सचिव ललित मोहन रयाल ने इस मामले में जांच के लिए पत्र लिखा था लेकिन हुआ क्या, किसी को नहीं पता।
मैंने रामकुमार के संबंध में स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत और सचिव डा. आर राजेश कुमार को फोन किया। फिलहाल दोनों ने रिस्पांस नहीं दिया। जैसे ही उनका वर्जन मिलेगा, वह भी इस पोस्ट में शामिल कर दूंगा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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