जीवन का अनुभव

आत्ममुग्ध मनुष्य का चरित्र बिल्कुल शुतुरमुर्ग जैसा होता है। शुतुरमुर्ग पक्षी अपनी लम्बी गर्दन को बालू मिट्टी में छिपा कर मन ही मन खुश होता रहता है कि उसे कोई नहीं देख रहा। जबकि लोगों की जिज्ञासा सदैव उसे देखने में ही बनी रहती हैं। इसी प्रकार स्वयं को श्रेष्ठ समझने वाले अंहकार ग्रस्त व्यक्ति … Continue reading जीवन का अनुभव