अनुभूति की अभिव्यक्ति है कविता

1090

नई दिल्ली, 21 मार्च। अंतरराष्ट्रीय काव्य दिवस की पूर्व संध्या पर उत्थान फाउंडेशन द्वारका की ओर से ‘कविता-अनुभूति की अभिव्यक्ति’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में भिन्न-भिन्न देशों से जुड़े अतिथियों ने हिन्दी में काव्य पाठ कर इस साहित्यिक विधा पर अपने विचार प्रकट किए। विश्व में जागरूकता फैलाने और लोगों को सकारात्मक सोच रखने के लिए भी प्रेरित करने की भी आवश्यकता बल दिया। सह आयोजक तरूण घवाना ने बताया कि भारत के इतर चौदह देशों के वक्ताओं के काव्यात्मक भाव सुनना एक अनूठा और सुखद अनुभव था। विश्व काव्य दिवस मनाने के पीछे यूएन का एक उद्देश्य था कि लोगों की कविता में रुचि बढ़े और उन्हें कविता लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसी श्रंखला के कुछ कवि वेबीनार में उपस्थित थे। उत्थान फाउंडेशन भी यही काम करता है, नए रचनाकारों की रचनात्मकता को आगे लाना।
वेबिनार की शुरुआत करते हुए उत्थान फाउंडेशन और वेबिनार की आयोजिका व संचालिका अरूणा घवाना ने आज की चर्चा के विषय को सबके सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि अनुभूति की अभिव्यक्ति ही कविता है। कविता के बिना साहित्य अधूरा है।

दो घंटे तक चले ऑनलाइन विचार-विमर्श में वेबिनार की अतिथि वक्ता यूके से शैल अग्रवाल ने कबीर, तुलसी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि ढाई आखर ही बहुत हैं कविता के लिए।
मुख्य अतिथि त्रिनिदाद-टोबैगो से भारतीय उच्चायोग में द्वितीय सचिव शिवकुमार निगम- (हिन्दी, शिक्षा और संस्कृति) ने काव्य के माध्यम से एक व्यंग्य प्रस्तुत करते हुए दूसरी कविता के माध्यम से समाज को आईना दिखाया।
न्यूजीलैंड से मैसी विश्वविद्यालय की निदेशक डॉ पुष्पा भारद्वाज वुड ने काव्य पाठ किया। फिजी से फिजी विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका मनीषा रामरक्खा ने पिता-बेटी के स्नेह की काव्यात्मक प्रस्तुति दी। साथ ही युवा शक्ति पर यकीन रखने की बात रखते हुए उनके दृष्टिकोण को काव्यात्मकता प्रदान की।
कनाडा से स्नेह ठाकुर ने कहा कि कलम की ताकत को नकारा नहीं जा सकता।
स्पेन से पूजा ने गणित जैसे नीरस प्रतीत होते विषय की काव्यातमक रोचक प्रस्तुति दी। साथ ही स्वीडन से इंडो-स्कैंडिक संस्थान के उपाध्यक्ष सुरेश पांडे की काव्य प्रस्तुति रोचक रही।
मॉरीशस से सविता तिवारी ने काव्य पाठ करते हुए मॉरीशस पर रचना प्रस्तुत की।
दक्षिण कोरिया से अजय निबांळ्कर ने काव्य प्रस्तुति कर सबका मन मोह लिया।
नीदरलैंड से हिन्दी सेवी व अध्यापिका कृष्णकुमारी जरबंधन ने दिल और जीवन को काव्य रचना में ढाल कर काव्य पाठ कर सबको मोहित कर दिया।
सूरीनाम से हिन्दी अध्यापिका लैला लालाराम ने मां के अथक श्रम को नमन करते हुए रोचक ढंग से काव्य पाठ प्रस्तुत किया।
सुभाषिनी रत्नायक ने श्रीलंका से भारत में अपने पहले प्रेम की गाथा के साथ-साथ श्रीलंका से परिचय कराते हुए काव्य पाठ किया।
मुंबई से विवेक शर्मा ने बॉलीवुड में कविताओं पर बने फिल्मी गानों की बात करते हुए कवि नीरज को याद किया।
वेबिनार के अंत में युद्ध के इस दौर में सबने शीघ्र ही विश्व शांति की कामना की।

दृष्टिकोण के साथ नारी को खुद को पहचानने की जरूरत

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here