कहां हो महाराज? चले आओ, लौट आओ!

कहां हो महाराज? आपके कुर्ते पर माइक लगा, डांट सुनने का इंतजार कर रहे हैं अफसर-कर्मचारी। आप होते तो ऐसा होता, आप होते तो वैसा होता। आप होते तो न जाने कैसे-कैसे होता। आप होते तो गौरीकुंड में प्रवचन देते। हजारों तीर्थयात्री वहीं रुक जाते तो केदारनाथ में मारा-मारी नहीं होती। आप ठंडी बयार हो, … Continue reading कहां हो महाराज? चले आओ, लौट आओ!