ऐसे करें सेब की फसल का बचाव

1015
file photo source: social media
रिकांगपिओ, 15 जून। हिमाचल प्रदेश के किन्‍नौर जिले के उप-निदेशक-2 आत्मा परियोजना डा. बलवीर सिंह ठाकुर ने आज यहां किसानों को जून माह में होने वाली खरपतवार से बचाव के लिए उचित दिशा-निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि सेब की खेती से जुड़े किसान जून माह में होने वाली खरपतवारों को काट कर मलन्चिंग करें व सेब के आकार, भार, रंग के लिए सप्तधान्भाँकुर की 40 प्रति लीटर के हिसाब से स्प्रै करें। उन्होंने बताया कि मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए खट्ठी लस्सी, सौंठास्त्र का स्प्रै तथा 15 दिनों के अन्तराल के तहत 2 लीटर जीवामृत में 40 लीटर पानी मिलाकर स्प्रै करतें रहें। उन्होंने बताया कि कीड़ों से नियंत्रण के लिए अग्नि-अस्त्र/ब्रह्मस्त्र/दशपर्णी का प्रयोग करें। ओला-वृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 48 घंटे के भीतर 30 से 35 लीटर जीवामृत व 6 से 8 लीटर खट्टी लस्सी को मिलाकर छिड़काव करें तथा पांच दिन बाद सप्तधान्भाँकुर अर्क का छिड़काव करें।
बलवीर सिंह ठाकुर ने सब्जियों की प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए कहा कि यदि प्राकृतिक खेती जैसे खीरा, धनिया, टमाटर, भिंडीं व फूलगोभी इत्यादि की खेती में कीटों की पैदावार हो तो वे ब्रह्मस्त्र/अग्निस्त्र में 40 लीटर पानी मिलाकर स्प्रै करें। उन्होंने कहा कि राजमाश, ओंगला की बीजाई से पूर्व 80 किलोग्राम बीजामृत का प्रति बीघा के हिसाब से छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि धनजीवामृत पोषक तत्वों से भरपूर होता है व फसल को अच्छा व भरपूर बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है व यह मिट्टी में अनुकूल वातावरण बनाए रखता है।
उन्होंने कहा कि फसलों से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए अपने-अपने विकास खण्डों के बी.टी.एम व ए.टी.एम (आत्मा) स्टाॅफ से सम्पर्क कर सकते हैं।
http://www.aks.news/state/himachal-pradesh/coronavirus-disease-covid-19-346/

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here