शुतुरमुर्ग बनी प्रदेश सरकार: हाईकोर्ट

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file photo

– कहा, कालाबाजारी करने वालों पर हत्या का केस चलना चाहिए
– मिस्टर एक्सीडेंटल सीएम शुतुरमुर्ग की ताकत भी पहचानो

नैनीताल हाईकोर्ट ने कल प्रदेश सरकार को शुतुरमुर्ग बताया कि कोरोना काल में सरकार रेत में मुंह घंसाए हुए है। इस टिप्पणी का आशय कोरोना काल में सरकार के नाकाफी प्रयासों की ओर है। दरअसल, हमें जो एक्सीडेंटल सीएम तीरथ सिंह रावत मिले हैं, उनके लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है। उन्हें साबित करना है कि शुतुरमुर्ग सरकार की विशेषताएं भी हैं। दरअसल, कहावत है कि खतरे के समय शुतुरमुर्ग रेत में सिर छुपा लेता है। उसे लगता है कि वो किसी को नहीं देख सकता तो कोई उसे क्या देख लेगा। अधिकतर यह देखा गया है कि यह कहावत उन लोगों के लिए कही जाती है जो मूर्ख और डरपोक दोनों होते हैं।

मुसीबत में हैं पत्रकार, चुप्पी साधे हैं पत्रकार संगठन

 

हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी की कि वर्तमान में एक अदृश्य शत्रु के साथ तृतीय विश्व युद्ध चल रहा है लेकिन सरकार की ओर से अपेक्षित गंभीरता और तैयारी कहीं नजर नहीं आ रही है। सरकार शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डालकर बैठी नजर आ रही है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण रोकने, कोविड अस्पतालों की व्यवस्था को अपर्याप्त और आधा अधूरा बताया। कोरोना को लेकर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने हाईकोर्ट में शपथपत्र पेश किया। हाईकोर्ट ने 20 मई तक दोबारा शपथपत्र पेश करने के निर्देश दिए। एफिडेविट पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इतना घटिया एफिडेविट उन्होंने अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत आपत्तिजनक है कि सरकार कोर्ट को समुचित जानकारी देने के बजाय, उसे अंधेरे में रख रही है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस वजह से वे समाचारपत्रों और नेट से जानकारी जुटा कर लाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। हाईकोर्ट ने कालाबाजारी करने वालों पर हत्या का केस होना चाहिए।

खैर, एक्सीडेंटल सीएम तीरथ सिंह रावत को चाहिए कि वो हाईकोर्ट की टिप्पणी को गंभीरता से लें और अपने विशालकाय शरीर (सरकार) का सही इस्तेमाल करें। डर के अपना सिर न छिपाएं। शुतुरमुर्ग सुरक्षा के लिए अपनी 2 लंबी और शक्तिशाली टांगों का इस्तेमाल कर सकता हैं। खतरे के समय वह अपने दुश्मनों को ऐसी दुलत्ती मार सकता है कि दुश्मन चित्त हो जाए। शुतुरमुर्ग 65 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ भी सकता है। तो अपनी ताकत को पहचानाओ मिस्टर एक्सीडेंटल सीएम, शुतुरमुर्ग मत बनने दो सरकार।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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