इसे कहते हैं रेवड़ियां बांटना, बनिये की दुकान बना दी विधानसभा

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  • प्रार्थना पत्रों के आधार पर बांट दी नौकरियां

देहरादून की यमुना कालोनी की सुमित्रा रावत ने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष को एक आवेदन किया। पत्र में कोई तारीख नहीं है। आवेदन पत्र में लिखा है कि मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हूं। मूल निवासी हूं और मुझे मेरी योग्यता के अनुसार विधानसभा में नियुक्ति दी जाए। सचिव महोदय को आदेश दिये गये कि तदर्थ आधार पर सुमित्रा को सहायक समीक्षा अधिकारी की नौकरी दे दी जाए। अल्मोड़ा के पत्रकार राजेंद्र रावत का पुत्र मयंक रावत भी स्नातक और होटल मैनेजमेंट किया हुआ था, संभवतः उसने पैसे नहीं दिये होंगे, तो उसे रक्षक के पद पर तदर्थ नियुक्त कर दिया।
स्वप्निल कुंजवाल ने तो आवेदन में लिखा कि ‘मै स्नातक उपाधिधारक अभ्यर्थी के रूप में सचिवालय में किसी भी पद के लिए अपना यह प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर रहा हूं। और उसे सहायक समीक्षा अधिकारी के पद पर तैनात कर दिया गया। लक्ष्मी चिराल ने भी गजब का आवेदन पत्र लिखा है। उसे भी सहायक समीक्षा अधिकारी के पद पर तदर्थ नियुक्ति दी गयी।
नोट: ये पत्र साथी पत्रकार अखिलेशं डिमरी की वाल से साभार लिए हैं। उसने बहुत कुछ लिखा है। मैंने केवल उसका सरलीकरण किया है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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