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घोर कलियुग की छाया

घोर कलियुग की छाया अपना भी हुआ पराया बड़े छोटे का मान नहीं अभिमान है स्वमान नहीं स्वार्थ की हंडी चढ़ी हुई बिना स्वार्थ अब बात नहीं परमात्म को ही...

नफरत में नफा नहीं

नफरत में नफा नहीं प्यार गजब उपहार है सबका पिता परमात्मा फिर कैसी तकरार है भाईचारे में अपनत्व होता मिलता सबसे प्यार है हर कोई अपना कहे सुखमय होता संसार है रूप...

उम्र भर जो सेवा करते

उम्र भर जो सेवा करते फिर भी चलते अविराम वही सच्चे ईश्वरीय बच्चे नहीं करते कभी विश्राम जीवन के हर पल को सुकारत करते जो इंसान वही सफल हो पाते...

सबके भले की सोचिए

सबके भले की सोचिए सबके भले की सोचिए खुद का भला भी होय सबको ख़ुशी जो बाँटिए अपनी सुखी भी हो जाए परहित के चिंतन से बढ़ता है प्यार अपार जो...

वसुधैव कुटुंबकम्

न कटाक्ष कर न प्रहार कर न हंसी उड़ा न परिहास कर विश्व संकट का दौर है तू सीमाओं से पार चल गिराने को जो आए पत्थर किनारे रख आगे चल...

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