बिकने लगा कोरोना वारियर सम्मान, बोलो खरीदोगे?

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– मीडिया संस्थानों की नई स्कीम, 25 हजार से सम्मान शुरू
– जी हां, सम्मान खरीदने पर 18 फीसदी जीएसटी भी चुकाना होगा

आपदा को अवसर में बदलने से कोई नहीं चूक रहा है। ऐसे में भला मीडिया कैसे पीछे रहेगा? बिकाऊ मीडिया का यदि उस पर टैग लगा है, तो वह इस दाग को धो डालना चाहता है। दाग धोने के लिए नई स्कीम लांच हो रही है कि कोरोना वारियर्स को सम्मानित करो। इससे अखबार और चैनल की छवि भी सुधरेगी और कोरोना कर्फ्यू के दौरान विज्ञापन न मिलने का घाटा भी पूरा हो सकेगा। यह है मेनस्ट्रीम मीडिया का पाजिटिव अस्पेक्ट। यानी आम के आम, गुठलियों के भी दाम।

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लिहाजा, स्कीम निकल रही हैं। कोरोना वारियर सम्मान के लिए 25 हजार से शुरूआत है और एक लाख तक वसूला जा सकता है। रिपोर्टरों को कहा गया है कि सम्मान राशि पर 18 फीसदी जीएसटी लेना न भूलना। सूत्रों के मुताबिक एक मीडिया हाउस ने तो बकायदा रिपोर्टरों को टारगेट दिया है कि सम्मान के लिए आदमी जुटाओ या इस्तीफा दो।
अब यह तो विज्ञापन मैनेजरों को समझने की बात है कि भला कोई क्यों आपको सम्मान के लिए एक लाख रुपये देगा? इस राशि से तो वह कई जरूरतमंदों की मदद कर सकेगा और जीवन भर की दुआएं लेगा। जनसेवा करने से जो आत्मसंतुष्टि मिलेगी सो अलग। सम्मान तो शो केस में बंद रहेगा, दिलों में नहीं। फिर भी यदि किसी समाजसेवी को कोरोना वारियर सम्मान चाहिए तो मीडिया की मंडी सजी है, बेशक ले सकता है। हालांकि मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि सभी संस्थान ऐसा नहीं कर रहे हैं। कुछ संस्थान नि:शुल्क और नि:स्वार्थ भी सम्मान कर रहे हैं और करेंगे।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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