डीडी उत्तराखंड को मिली विवादित थलेड़ी से मुक्ति

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– जाते-जाते कोरोना पाजिटिव कैजुअल और ठेका स्टाफ को निकालने की कर दी संस्तुति
– मैंने गलत कार्य के लिए मना किया तो मेरी नौकरी के पीछे पड़ गए

यदि सब कुछ ठीक रहा तो उत्तराखंड दूरदर्शन के प्रोग्राम हेड सुभाष थलेड़ी अब यहां नजर नहीं आएंगे। कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने उनके विदाई समारोह में जाना मुनासिब नहीं समझा। उनके रिटायर होने के बाद यहां के कैजुअल और ठेका कर्मचारियों ने भी राहत की सांस ली है। सुभाष थलेड़ी पर अधीनस्थों का मानसिक उत्पीड़न, महिलाओं के साथ अभद्रता करने, एसीआर और एपीएआर रोकने, ढाई महीने तक बायोमेट्रिक हाजिरी न लगाने, दिल्ली में दो साल तक सरकारी आवास कब्जाने, डीडी उत्तराखंड में अपने चुनिंदा कलाकारों और एंकरों को बुलाने समेत कई आरोप हैं। उन्हें पनिशमेंट ट्रांसफर भी मिले लेकिन वो रिटायर होते-होते तक अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। जाते-जाते कोरोना से पीड़ित ठेकाकर्मियों को नौकरी से निकालने और एएनई को हटाने की संस्तुति कर गए।
अब जरा सोचिए कि मैं एक रिटायर हो रहे व्यक्ति के खिलाफ यह पोस्ट क्यों लिख रहा हूं? इसलिए कि ऐसे कुंठित और अभिमानी व्यक्ति समाज के लिए खतरा हैं और यह आदमी अब तीरथ सरकार और प्रसार भारती में सेंघ लगाने के लिए तिकड़म लगा रहा है। इस व्यक्ति के अंदर इतना अहंकार भरा है कि यह तिल का ताड़ बना लेता है।
पिछले साल मैंने एक पोस्ट लिखी थी कि प्रियंका दीवान ने झूठ बोला कि वह यूपीएससी में चयनित हो गई हैं। सुभाष थलेड़ी ने इस मामले में एक दिन मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा कि ये पोस्ट हटा दो। प्रियंका का रिश्तेदार उनका दोस्त है। मैंने कहा कि ये पोस्ट वायरल हो गई और यदि मैं इसे हटा दूंगा तो मेरी साख प्रभावित होगी? महाशय ने मुझे एक घंटे तक धमकाते रहे, मैं नहीं डरा। तो वो मुझसे नाराज हो गए। दरअसल, थलेड़ी ने डीडी में बिना यह पता किए कि यह सच है या झूठ। प्रियंका का इंटरव्यू दिखा दिया था। उन्हें यह भय सता रहा था कि कहीं इसकी जांच न हो जाएं। दूसरों की छोटी से छोटी गलती के लिए मीमो जारी करने वाला प्रोग्रामिंग हेड ने इस मामले की जांच नहीं बिठाई। उल्टे मेरी शिकायत दिल्ली कर दी कि मेरे खिलाफ आईएएस मीनाक्षीसुंदरम ने केस किया है और मैं लड़ाकू हूं। इसे हटा दिया जाएं। बहरहाल, जांच में अधिकारियों ने मुझे सही पाया।
अब बात बीते अप्रैल के आखिरी सप्ताह की। कोरोना पूरे डीडी न्यूज को घेरे हुए था। मेरे कई साथी यहां तक न्यूज हेड रोहित त्रिपाठी भी कोरोना संक्रमित हो गए। 20 अप्रैल को जब डयूटी की तो उस दिन शशिकांत मुझे न्यूज रूम में असिस्ट कर रहा था, दूसरे दिन पता चला कि वो भी कोरोना पाजिटिव हो गया। मैं क्वारंटीन हो गया। इस बीच न्यूज की जिम्मेदारी सुभाष थलेड़ी को मिल गई। डयूटी की बात चली तो मैंने 20 मई के बाद डयूटी पर आने के लिए कहा। महाशय जी ने मुझे 14 मई को इमरजेंसी ग्रुप से हटा दिया और डीडी न्यूज दिल्ली शिकायत की कि सहयोग नहीं कर रहा। मैं डायबिटिक हूं और शूगर 214 से कम आ ही नहीं रहा था तो डयूटी कैसे करता? इस डयूटी में भी दोहरा मापदंड अपनाया गया। कुछ एएनई को घर से काम करने की छूट दी गई तो कुछ को आफिस बुलवाया गया।
गजब तो यह कि महाशय जी ने डीडी न्यूज में एजेंसी के माध्यम से काम कर रहे कर्मचारियों को हटाने के लिए प्रोग्रामिंग में ही अपने चहेते नरेंद्र रावत से चिट्ठी लिखवा दी कि इन्हें हटा दो और इनकी जगह दूसरे लोग भेज दो। ठेका कर्मचारियों को वेतन न देने के आदेश भी दिए गए। जबकि इनमें से दो कर्मचारी कोरोना पाजिटिव थे जबकि एक उनके साथ था और उसकी पत्नी का मेजर आपरेशन हुआ था। सबसे अहम बात यह है कि थलेड़ी को न्यूज की जरा भी समझ नहीं है। पिछले दो साल में डीडी उत्तराखंड के प्रोग्रामिंग का भट्टा बिठाने में थलेड़ी की बड़ी भूमिका रही है।
यह है सुभाष थलेड़ी की टीम स्प्रिट। थलेड़ी डीडी न्यूज के बड़े अधिकारी को अपना दोस्त बताकर और उनके नाम का दुरुपयोग करते रहे। कर्मचारियों को धमकाने वाले अहंकारी, और भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी के तौर पर सुभाष थलेड़ी को याद किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक थलेड़ी ने तीरथ सरकार में भी दंभ भरा है कि मैं पार्टी को दोबारा सत्ता में ले आउंगा। जानकारी के मुताबिक बकायदा एक चिट्ठी सरकार से प्रसार भारती के उच्च पदस्थ तक भिजवा भी दी है कि एक साल का एक्सटेंशन मिल जाएं।
जल्द दूसरी पोस्ट में थलेड़ी के अन्य कारनामे उजागर करूंगा।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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