बीज आवश्यकताओं पर आत्मनिर्भर बनाएं कृषि वैज्ञानिक

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पालमपुर, 17 जून। कृषि, पशुपालन, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने प्रमुख फसलों की बीज आवश्यकताओं पर राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों से आह्वान किया। कंवर आज यहां चौ.सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में वैज्ञानिकों और अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
कंवर ने कहा कि प्रगतिशील किसानों को बीज उत्पादन कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर शामिल किया जाना चाहिए। हिमाचल प्रदेश को अपनी बीज आवश्यकताओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि संसाधनों की बचत हो तथा बीज गुणवत्ता भी बनी रहे। उन्होंने बताया कि महामारी के दौरान कृषि और बागवानी को वरदान मिला क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों ने बड़े शहरों से अपनी जड़ों यानि पैतृक स्थानों की ओर लौटने के बाद खेती को अपनाया। उन्होंने कहा कि औद्योगीकरण ने युवाओं को गांवों से शहरों की ओर पलायन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग खेती को हीन मानते हैं तथा युवा छोटी-छोटी सरकारी नौकरियों को वरीयता देते हैं। ऐसे लोगों को खेती के अलग-अलग मॉडल दिए जाने चाहिए ताकि वे खुशी-खुशी कृषि, बागवानी, पशु व मत्स्य पालन आदि को स्वरोजगार के रूप में अपनाएं।

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उन्होंने कहा कि पुराने समय में जब किसान अनाज और दालें उगाते थे तथा दुधारू व अन्य पशु पालकर समन्वित फार्मिंग करते थे, लेकिन हरित क्रांति के बाद किसानों ने खेती की ऐसी एकीकृत प्रणाली को छोड़ दिया। उन्होंने ने कीटनाशकों, पशु चारा और अन्य कृषि उत्पादों की अनाधिकृत बिक्री और गुणवत्ता की जांच करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
कंवर ने कहा कि केवल वही शोध समयोपयोगी है जो कृषक समुदाय के हित में हो। उन्होंने घरेलू आय बढ़ाकर विश्वविद्यालय को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गंभीर प्रयास करने की सलाह दी। उन्होंने प्रत्येक पंचायत किसानों को अपनाने और उन्हें अधिक आय व सुरक्षित खाद्य उत्पादन के लिए प्राकृतिक खेती या खेती के अन्य मॉडल अपनाने के लिए प्रशिक्षण देने का सुझाव दिया। कंवर ने हाल ही में फसल की 13 किस्मों को विकसित करके जारी करने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की।
उन्होंने डॉ. मधुमीत सिंह, परवेश कुमार व अक्षय शर्मा द्वारा लिखित सार-संग्रह ‘‘हिमाचल प्रदेश की गायों में प्रजनन प्रबंधन‘’ और डा. वाई पी ठाकुर देश राज चौधरी, लव भूषण और दीपिका सूद द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘हि.प्र. में गतिशील कृषि परिदृश्य-होनहार ग्रामीण कृषि-उद्यमियों की कहानियां‘’ का भी विमोचन किया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. हरीन्द्र कुमार चौधरी ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, अनुसंधान व प्रसार गतिविधियों की प्रमुख उपलब्धियों का भी विस्तार से विवरण रखा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन विकास, आवश्यकता आधारित शोध तथा उपयोगी प्रौद्योगिकी को राज्य के कोने-कोने में हस्तांतरित करने के साथ-साथ कृषक समुदाय के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए लिए प्रतिबद्ध है। कुलपति ने हाल ही में 13 फसल किस्मों के विमोचन और राज्य के स्वर्ण जयंती वर्ष में 51 प्रौद्योगिकियों को पंजीकृत करवाने, केवल मादा बछड़ों के प्रजनन तथा पहाड़ी गायों पर शोध, आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण व बीज जीन बैंक की स्थापना, नए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर जैसे नए प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कुलपति ने निरंतर समर्थन के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रति भी आभार व्यक्त किया।
कुलसचिव पंकज शर्मा ने मंत्री, उनकी धर्मपत्नी मीना कंवर व अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। इससे पहले मंत्री ने 1.23 करोड़ रुपये की अनुसंधान परियोजनाओं और बुनियादी ढांचों का उद्घाटन किया, जिसमें 78 लाख रुपये के गद्दी कुत्तों के संरक्षण और प्रसार पर एक परियोजना, 20 लाख रुपये लागत की लेयर वाले पोल्ट्री हाउस, 25 लाख रुपये लागत की हाइड्रोपोनिक यूनिट शामिल थीं। मंत्री ने विश्वविद्यालय की प्राकृतिक कृषि इकाई और पशु चिकित्सालयों का दौरा किया।
बैठक में सचिव (कृषि) डॉ अजय शर्मा आईएएस, विशेष सचिव (कृषि और वित्त) व राज्यपाल के सचिव राकेश कंवर, निदेशक कृषि नरेश ठाकुर, निदेशक पशुपालन डॉ अजमेर डोगरा, एसपीएनएफ के कार्यकारी निदेशक डॉ राजेश्वर चंदेल, जाईका परियोजना के मुख्य सलाहकार डा. जे.एस. राणा, राज्य समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन संजीव राणा और हिप्र सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारी व विश्वविद्यालय के संविधिक अधिकारी भी उपस्थित थेl इसके उपरांत कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज, पशु तथा मत्स्य पालन मंत्री, वीरेंद्र कंवर ने सीएसआईआर का दौरा किया। उन्होने इस अवसर पर संस्थान के टिश्यू एंड सेल कल्चर फैसिलिटी, हाइड्रो एंड ऐरोपोनिक फैसिलिटी, हींग एवं केसर नर्सरी, और पायलट प्लांट फैसिलिटी सेंटर का अवलोकन भी किया। सीएसआईआर के निदेशक संजय कुमार ने मुख्यातिथि का स्वागत किया और संस्थान के अनुसंधान और अन्य कार्य की जानकारी दी।

 

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