कोरोना पॉजिटिव बच्‍चों को लेकर एडवाइजरी जारी, ब्‍लैक फंगस से सावधान

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शिमला, 11 जून। स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि 10 जून तक राज्य में 197438 लोग कोरोना महामारी से प्रभावित हुए है जिनमें से अधिकतर मामले 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के है। उन्होंने कहा कि संभावित तीसरी लहर के आने से बच्चे अधिक प्रभावित हो सकते है जिसके दृष्टिगत राज्य सरकार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि बच्चों में पाए जाने वाले कोविड-19 आम लक्षणों में बुखार, खांसी, नाक बहना, गले में खराश, शरीर में दर्द, सिरदर्द, अस्वस्थता और कमजोरी शामिल हैं। उन्हें दस्त, उल्टी, भूख न लगना और स्वाद न आना भी हो सकती है। हालांकि हल्के लक्षणों वाले मामलों में सांस की तकलीफ नहीं होती। उन्होंने कहा कि मध्यम व गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई, ऑक्सीजन के स्तर का 94 प्रतिशत से कम होना भी शामिल है। प्रवक्ता ने कहा कि 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए 6 मिनट वॉक टेस्ट माता-पिता व अभिभावकों की देखरेख में हाइपोक्सिक लक्षणों को उजागर करने के लिए किया जाना चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कोविड-19 के प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार बच्चों में कोविड के मामलों के नैदानिक प्रबंधन के लिए केाविड के सभी मामलों को 4 श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चों के उपचार में रेमडेसिविर दवा का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इसका उपयोग केवल आपातकालीन स्थिति में ही प्राधिकृत अधिकारी की स्वीकृति के बाद ही किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्टेरॉयड का उपयोग नहीं बताया गया है और कोविड-19 के हल्के लक्षणों व बिना लक्षणों वाले मामलों में हानिकारक हैं। इस आयु वर्ग में स्टेरॉयड का उपयोग मध्यम व गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 मामलों में सही समय पर, उचित खुराक में और सही अवधि के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर ही किया जाना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि बिना लक्षणों वाले संदिग्ध मामलों और गले में खराश, नाक बहने और कोविड-19 के हल्के लक्षणों वाले व अन्य मामले जिनमें सांस लेने में कठिनाई न हो, की होम आइसोलेशन में देखभाल की जानी चाहिए। ऐसे बच्चों के लिए आवश्यकता होने पर टेली-परामर्श सेवाओं का उपयोग किया जाना चाहिए। ऐसे बच्चों को हाइड्रेशन और पौष्टिक आहार के रूप में खाने के लिए तरल पदार्थ दिए जाने चाहिए। परिवार में बच्चों और व्यस्कों को कोविड अनुरूप व्यवहार का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड प्रभावित बच्चों से परिवार के सदस्यों को फोन, वीडियो कॉल आदि के माध्यम से सकारात्मक बातचीत करनी चाहिए। मध्यम व गंभीर लक्षणों वाले बच्चों को तुरंत अस्पताल में स्थानांतरित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दिशा-निर्देशों के अनुसार 5 साल तक के बच्चों को मास्क नहीं पहनना चाहिए। 6 से 11 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे माता-पिता, अभिभावकों की देखरेख में मास्क पहन सकते हैं। 12 साल व इससे अधिक उम्र के बच्चों को व्यस्कों की तरह ही मास्क पहनना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया है कि माता-पिता व अभिभावक यह सुनिश्चित करें कि उनका बच्चा हाथों को स्वच्छ रखे और मास्क को हाथ लगाते समय हाथ नियमित रूप से साबुन और पानी या हैंड सैनिटाइजर से साफ करता रहे।

कोरोना पॉजिटिव बच्चों के माता-पिता ब्लैक फंगस के लक्षणों से रहे सतर्क
स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर से 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चे प्रभावित हो सकते है। इस आयु वर्ग में कोविड-19 मामलों में वृद्धि से ब्लैक फंगस के मामले भी पाए जा सकते है, जिसके दृष्टिगत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय भारत सरकार द्वारा बच्चों में ब्लैक फंगस के प्रबंधन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। बच्चे राइनो-सेरेब्रल म्यूकोर्मिकोसिस या गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल म्यूकोर्मिकोसिस से पीड़ित हो सकते है।
राइनो-सेरेब्रल म्यूकोर्मिकोसिस के लक्षणों में चेहरे का दर्द, साइनस का दर्द, पेरिऑर्बिटल सूजन, पेरेस्थेसिया, आधे चेहरे पर सनसनी में कमी, दांतों का ढीला होना, दांतों और मसूड़ों में दर्द, तालु का पीला होना, सांस संबंधी समस्याएं, सीने में दर्द, सिरदर्द, चेतना में परिवर्तन और दौरा पड़ना आदि शमिल है। उन्होंने कहा कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल म्यूकोर्मिकोसिस के लक्षणों में पेट की खराबी, बच्चे में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव, लीवर की शिथिलता या अन्य कारणों के अभाव में सीरम लैक्टेट का लगातार बढ़ना। उन्होंने कहा कि म्यूकोर्मिकोसिस का प्रबंधन शीघ्र होना चाहिए, इसलिए यदि माता-पिता या अभिभावक को उपरोक्त में से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो बच्चे को तुरंत अस्पताल लाया जाना चाहिए।

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