आंसुओं के सैलाब में चलेगी नेताओं की ‘स्वार्थ की नाव‘

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  • प्रापर्टी डीलिंग में जुटे पार्षद, विधायक और मंत्रियों के चेहरे खिले
  • जोशीमठ से तेजी से होगा पलायन, दून में बढ़ेंगे जमीनो के रेट

मेरे एक अच्छे परिचित हैं। शासन में बड़े अधिकारी हैं। जोशीमठ में उनका परिवार रहता है। वहां उन्होंने अपनी तथा अपनी पत्नी की जीवन भर की कमाई लगाई और बैंकों से लोन लिया। आलीशान घर बना लिया। कल सुबह जब उनसे बात हुई तो वह श्रीनगर पहुंच चुके थे। जोशीमठ पहुंचे तो पता चला कि घर में दरारें आ गयी हैं। विस्थापित होना पड़ेगा। लिहाजा अब उन्हें चिन्ता सता रही है कि आखिर जाएं तो जाएं कहां? यह बताते हुए उनकी आवाज रुआंसी हो जाती है। विकल्प नहीं बचा है तो परिवार को अब दून लाना होगा। सपनों का आशियाना दरक रहा है। उनकी यह पीड़ा और व्यथा अकेले उनकी नहीं है, जोशीमठ के लगभग सात सौ परिवारों की है।
सरकार कुछ दिन के लिए प्रभावितों को कुछ कमरों में विस्थापित कर रही है। पर क्या जीवन ऐसे चलेगा? मैं गवाह हूं 2013 की आपदा का, केदारघाटी में क्या हुआ? कितनों को प्री-फेबरिकेटिड मकान बनाकर दिये गये? जो सात लाख दिये गये, किसी को अपने बच्चे की पढ़ाई करवानी थी, किसी को शादी तो किसी ने झटके से मकान बनवाने में आपदा मद की रकम खर्च कर दी। इसके बाद पिछले आठ साल से केदारघाटी के लोग अपनी ही जमीन पर दूसरों के यहां नौकरी कर रहे हैं। केदारनाथ आपदा के बाद लगभग 50 हजार लोग देहरादून आ बसे।
अब यही हालात जोशीमठ के हैं। सरकारें निर्मम होती हैं। उनका दिल नहीं होता। सरकारों को आम आदमी का दुख और उनके आंसू नजर नहीं आते। वह आम आदमी को वोट के नजरिए से देखती हैं। ऐसे में सरकारों से बहुत उम्मीद करना बेमानी साबित होगा। वैसे भी प्रदेश के सभी फैसले मोदी जी करते हैं। ज्यादा से ज्यादा राशन फ्री दे देंगे। गोदामों में सरप्लस है। कुछ अहैतुक मुआवजा भी मिल जाएगा। पर जीवन तो बड़ा निष्ठुर है। समय चक्र चलता रहेगा। नेता, अफसर, लुटेरे सब एक समान हैं, दूसरे के आंसुओं में अपना सुख तलाशते हैं।
जोशीमठ दरकने के बाद देहरादून के अधिकांश नगर पार्षदों, अतिक्रमण को प्रश्रय देने वाले प्रापर्टी डीलर और ठेकेदार से विधायक बने नेताओं की पौ-बारह होने वाली है। देखना, दून में जमीनों के भाव सरपट दौडेंगे, क्योंकि जोशीमठ के कम से कम एक हजार परिवार देहरादून आएंगे। जोशीमठ के आंसुओं की बाढ़ में अब नेताओं और प्रापर्टी डीलरों की नाव तैरेगी। देखना लोगों, देखना।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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