सरकार, इंसाफ रहने दो, बस, मुआवजा दे दो

322
  • रोजगार नहीं, शराब चाहिए, शराब तस्कर बबली को मंत्री बना दो

विधानसभा और यूकेएसएसएससी भर्तियों की जांच पूरी हो गयी है। सब दोषी जेलों की हवा खा रहे हैं। कुछ आरामपरस्त बेरोजगारों को इन दिनों रात को सुकून की नींद आ रही है और वह फिर भविष्य के सपने देख रहे हैं कि उन्हें नौकरी मिल जाएगी। नेता भी खुश हैं और उनके हाकिम भी। सब कुछ अच्छे से निपट गया। जांच की जांच हो गयी और पद-गरिमा सब बरकरार रह गया। मुखिया खुश हैं कि उत्तराखंड भ्रष्टाचार मुक्त हो गया और उनकी धाकड़ता जग-जाहिर हो गयी। वो हवा में उड़ रहे हैं, खूब हवाई सर्वेक्षण हो रहे हैं, कह रहे हैं, डीजल-पेट्रोल ही तो महंगा, हवाई फ्यूल सस्ता। आसमान से हवा में लटके जोर से कह रहे हैं, प्रदेश सबसे आगे निकल गया। अब समझने वाले समझें, कि किसमें निकला?
देखो युवाओं, तुम इन नेताओं और अफसरों से कुछ न मांगों। न रोजगार, न नौकरी और न ही सम्मान से जीने का अधिकार। तुम मांग सको तो मांग लो, मुआवजा। मुआवजा मांगो। दो-चार- पांच-दस हजार का, 50 हजार भी चलेगा। खबरदार नौकरी मांगी तो। रोजगार भी मिलेगा, कहीं तुम पन्ना प्रमुख रहोगे तो कहीं तुम झंडा-डंडा उठाओगे। चुनाव में खूब रोजगार और ऐश मिलेगी। शराब तस्कर बबली भले ही एक वोट से जीते, लेकिन जीत जरूर जाएगी, क्योंकि उसने जो शराब पिलायी, वह दूसरे उम्मीदवारों के मुकाबले अधिक उम्दा थी। कुछ यह सोमरस पीकर बैकुंठ धाम चले गये तो सब झंझटों से मुक्ति मिल गयी। नहीं तो वही रहता, कचर-कचर। नौकरी-रोजगार, महंगाई। इसलिए कह रहा हूं कि छोड़ो इंसाफ की बातें। सीबीआई जांच की बातें। यहां अब कौन किसी की सुनता है, सीबीआई भी तोता है।
तो फिर क्यों व्यर्थ परेशान हो, बस, सरकार से एक ही मांग करो, जवानी का और किताबी ज्ञान बांचने का मुआवजा दो। कहो, सरकार, जितना मरे हुए का मुआवजा देते हो, उसका आधा जीने के लिए दे दो। डिग्री की कुछ तो कीमत होगी। डिग्री का ही कुछ मुआवजा दे दो। चाय की दुकान या पकोड़े तलने के लिए कुछ तो मुआवजा दे दो। सरकार, बस इंसाफ रहने दो।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

क्या पौड़ी हादसे की बस का फिटनेस हुआ था?

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here