दून में कला और साहित्य का संगम

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  • मधुवन होटल में दो दिवसीय इंटरनेशनल लिटरेचर एंड आर्ट्स फेस्टिवल
  • 100 लेखक, 40 सत्र 5 प्रदर्शनियां और 12 पुस्तकों का लोकार्पण

नेता, मंत्री, बने चोर उचक्के, मक्कार, भ्रष्ट और निकम्मे व कमीशनखोर अफसरों को आदतन कोसता हुआ सुबह राजपुर रोड स्थित मधुवन होटल पहुंचा तो दिल के भाव बदल गये। मन प्रसन्न हो गया। नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो गया। मंच पर कथक नृत्य चल रहा था। ताल पर नृतिका की भाव-भंगिमाओं से कथा को समझने का असफल प्रयास कर रहा था। सामने पूर्व चीफ सेकेट्री एनएस नपलच्याल मिल गये। वह कहने लगे, डांस क्या देखना। कुछ काम की बातें सुनते हैं। हाल में गये तो टैगोर एंड गांधी, वाकिंग एलोन, वाकिंग टुगेदर पर इरा पांडे की अध्यक्षता में सतीश अल्कांत और रुद्रांक्षु मुखर्जी के बीच चर्चा चल रही थी। कुछ देर बाद फिर मंच के सामने पहुंच गया। कथक की एक और प्रस्तुति चल रही थी। वहां पूर्व सूचना आयुक्त जेपी ममगाईं जी मिल गये। मंच के साथ ही विंडसर पब्लिकेशन के कीर्ति नवानी स्टाल में मिल गये। विंडसर पहाड़ के समग्र विषयों और सभी विधाओं के लेखन का केंद्र है। यानी पहाड़ से संबंधित हजारों पुस्तकें विंडसर पब्लिकेशन ने प्रकाशित की हैं।
एसडीसी फाउंडेशन के चेयरमैन अनूप नौटियाल को सुनने के लिए मिलन में गया तो कार्यक्रम पूरा हो चुका था। एसीएस राघा रतूड़ी और पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी भी मौजूद थे। इस बीच मुनींद्र सकलानी की पत्रकारिता पर लिखी पुस्तक का एक बार फिर लोकार्पण किया गया। समझ से परे है कि मुनीद्र सकलानी क्यों इस पुस्तक की बाल की खाल निकाल रहे हैं। उन्होंने दर्जनों बार इस पुस्तक का लोकार्पण करवा दिया है। वरिष्ठ पत्रकार अरुण प्रताप सिंह, प्रेस क्लब अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल ने पुस्तक पर सकलानी जी से बात की। पत्रकारिता का हाल बेहाल है। इसलिए अपनी ही बिरादरी का कार्यक्रम मुझे बहुत बोरिंग लगा तो नाबार्ड की प्रदर्शनी देखने चला गया।
कुल मिलाकर यह प्रयास सराहनीय है। खुशी इस बात की भी हुई कि गढ़वाल पोस्ट को आयोजन में हिस्सेदारी मिली। वरना हम अपने ही राज्य में पराए से हो गये हैं। आयोजन कल भी है। यदि समय हो तो जाइएगा जरूर, निराश नहीं होंगे।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

सीएम को बदलना चाहिए कंटेंट राइटर!

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