तीलू रौतेली पुरस्कार क्यों लौटा रहीं महिलाएं?

507
  • एनआरएलएम में भी भ्रष्टाचार, क्यों कुछ ही समूहों को दिया जाता है काम
  • 500-500 महिला समूह, काम महज चार -पांच समूहों को क्यों?

तीलू रौतेली पुरस्कार पाने वाली गीता मौर्य और श्यामा चौहान इस पुरस्कार को लौटाना चाहती हैं। पुरस्कार पाने वाली श्यामा चौहान का कहना है कि वो आज सुद्दोवाला में बाल विकास विभाग कार्यालय पर धरना देंगी। उनके मुताबिक ऐसे पुरस्कार का लाभ नहीं कि काम छीन लिया जाए। टेक होम राशन यानी टीएचार का काम ठेकेदार को दिया जा रहा है। इससे महिला स्वयं सहायता समूहों को ठेकेदारों के अंडर में काम करना होगा यानी महिला समूह दिहाड़ी मजदूर बन जाएंगे। महिला स्वयं सहायता समूह की कुछ महिलाओं का आरोप है कि पिछले छह साल में उनके समूह को कोई काम नहीं दिया गया। उनका कहना है कि गीता और श्यामा की टीएचआर में मोनोपली है। अब उनके हाथ से मलाई छिन रही है तो शोर मचा रही हैं।
बाल विकास विभाग ने आठ अप्रैल को टीएचआर के लिए ई-निविदा जारी की है। यानी अब तक जो राशन महिला समूहों द्वारा आंगनबाड़ी के माध्यम से बांटा जाता था वह अब ठेकेदार के माध्यम से बांटा जाएगा। यह ठेका फिलहाल स्थगित है। पूर्व सीएम हरीश रावत भी इस मुद्दे को उठा रहे हैं। यानी जो इनकम महिला समूहों की होनी थी वो ठेकदार की होगी और महिला समूह अब ठेकेदार के अंडर में काम करेंगे।
दरअसल, आजीविका मिशन का एक पहलू यह भी है कि इसमें अफसरों को सारे अधिकार दिये गये हैं कि वो तय करें कि किसको काम देना है या नहीं। इस योजना में सीडीओ आफिस से लेकर नीचे तक भेदभाव और भ्रष्टाचार व्याप्त है। उदाहरण के लिए विकासनगर और सहसपुर में 500-500 महिला समूह हैं। जबकि दोनों क्षेत्रों में काम महज पांच-सात महिला समूहों को ही मिल रहा है। क्यों? महिला समूहों से मिली जानकारी के अनुसार एनआरएलएम में पूरा खेल सेटिंग-गेटिंग का है। आरोप है कि गीता मौर्य और श्यामा चौहान ने कोई स्वरोजगार नहीं किया। वो केवल टीएचआर का काम करती हैं। और महिलाओं को 200 रुपये दिहाड़ी देती हैं।
हरीश रावत सरकार यानी 2014 से ही टीएचआर का काम चल रहा है। आरोप है कि इन दोनों महिलाओं के पास पहले महज दो आंगनबाड़ियों का टीएचआर का काम था और अब इनके पास अब दर्जनों आंगनबाड़ी हैं। ये दोनों महिलाएं सबसे ज्यादा काम पा रही हैं और अन्य को पिछले छह साल में काम ही नहीं मिला। श्याम चौहान के पास विकास नगर का काम है और यह कालसी चकराता तक काम कर रही है। जबकि कालसी चकराता में महिला समूह हैं। श्यामा ने इस आरोप से इंकार किया है। उनके अनुसार उनके पास 26 आंगनबाड़ी हैं। यह भी आरोप हे कि गीता मौर्य के पास सहसपुर क्षेत्र है लेकिन वो भी सेलाकुई तक काम करती हैं। यानी उस क्षेत्र की स्वयं सहायता समूहों के काम पर डाका डाला जा रहा है। अब दोनों को खतरा है कि उनकी मलाई छीनी जा रही है और उन्हें ठेकेदारों के तहत काम करना होगा इसलिए विरोध कर रही हैं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

फिर हरे हुए हरदा के घाव, बोले, भुलि ने नहीं दिया साथ

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here