लोकायुक्त बना सफेद हाथी, मुफ्त की सेलरी ले रहे 10 कार्मिक

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  • वेतन-भत्तों पर खर्च हो रहे दो करोड़ रुपये
  • 2014 से नियुक्त नहीं हुआ लोकायुक्त

प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति प्रदेश की नहीं हो सकती है कि विधानसभा भर्ती मामले के आरोपी पूर्व स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल वित्त मंत्री के तौर पर अनुपूरक बजट पेश कर रहे हैं। इस बीच जिस लोकायुक्त को लेकर पूर्व सीएम जनरल बीसी खंडूड़ी दोबारा सत्ता में आना चाहते थे, उसी लोकायुक्त को पहले कांग्रेस और अब भाजपा सरकारों ने कुचल डाला है। लोकायुक्त महज ढांचा मात्र है। पिछले आठ साल से प्रदेश में लोकायुक्त है ही नहीं। लेकिन यहां दस अधिकारी कर्मचारी सरकारी खजाने पर बोझ बने हुए हैं।
आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी के अनुसार आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार लोकायुक्त का बजट लगभग दो करोड़ का है। 2014 के बाद से लोकायुक्त का पद खाली है लेकिन यहां सचिव, मुख्य अन्वेंषण अधिकारी, अनु सचिव, अपर निदेशक, अधिशासी अभियंता, अनुभाग अधिकारी समेत दस कार्मिक हैं। इनके वेतन पर एक करोड़ 53 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। इसके अलावा महंगाई भत्ते पर 62 लाख रुपये का खर्च हो रहा है। इसके अलावा लोकायुक्त में कोई भी सदस्य नहीं है। जबकि नियमानुसार लोकायुक्त में सदस्य भी होने चाहिए थे।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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