इस लग्न के जातको में सदैव नई चीज को सीखने की ललक और कला होती है

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मिथुन लग्नः कालपुष की कुण्डली में मिथुन राशि तीसरे भाव का प्रतिनिधित्व करती है। जन्मकुण्डली का तीसरा भाव पराक्रम व साहस का होता है, इसलिए जब तीसरा भाव लग्न बनता है तो व्यक्ति में पराक्रम की कोई कमी नहीं होती है, ऐसे व्यक्ति अत्याधिक परिश्रमी होते हैं।
मिथुन लग्न के जातको में सदैव नई चीज को सीखने की ललक और कला होती है। इनमें संगीत, नृत्य, ड्राइंग, पेटिंग, और यात्रा को लेकर उत्सुकता हमेशा बनी रहती है।
मिथुन लग्न वालों को पन्ना और हीरा पहनना लाभ दे सकता है। बुधवार और शुक्रवार विशेष फलदायी है। मिथुन लग्नवाले व्यक्तियों को कर्क, धनु और मीन राशि या लगन के लोगो से विवाह संबंधो से बचना चाहिए। ऐसे व्यक्ति गणना व बौद्धििक क्षेत्रों में अधिक सफल होते है।
शुभ ग्रहः लग्न और चतुर्थ का स्वामी होकर बुध शुभतायुक्त है। शक्र पंचमेश होकर अति शुभ है। शनि भी नवमेश होकर शुभ हो जाता है। इन ग्रहों की स्थिति कुंडली में अच्छी हो तो इनकी दशा-महादशा व प्रत्युंतर बहुत फलकारक होता है। यदि ये कुंडली में अशुभ स्थानों में हो तो योग्य उपाय करना चाहिए।
अशुभ ग्रहः तृतीयेश सूर्य, षष्ठेश और एकादशेष मंगल तथा सम्तमेश-दशमेश शुभ नही होते। इनकी दशा-महादशाएं तकलीफदेह हो सकती है। अतः इनके शांति उपाय करना चाहिए।

दिनेश अग्रवाल
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इस लग्न राशि के जातक विवेकपूर्ण, परिश्रमी और सांसारिक विषयों के अच्छे जानकार होते हैं

 

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