सात देशों की कमान भारतीय मूल के लोगों के हाथ

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  • ऋषि सुनक ही नहीं, पुर्तगाल, मारीशस, सिंगापुर की कमान भी भारतीय मूल के लोगों में
  • हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि भारत से ब्रेन ड्रेन क्यों, ब्रेन गेन क्यों नहीं?

अमरीका की उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की जड़ें भी भारत से जुड़ी हैं। ऋषि की ताजपोशी को हम ब्रिटिश इंडिया के 200 वर्षों के गुलाम के इतिहास को नये रूप में देखने का प्रयास कर रहे हैं कि अब इंग्लैंड की कमान भारतीय मूल के पीएम के पास है।
इसके अलावा भी भारतीय मूल के लोगों ने कई अन्य देशों में अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर शिखर को छुआ है। पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा भी भारतीय मूल के हैं। उनके दादा लुई अफोन्सो मारिया डी कोस्टा भी गोवा के निवासी थे। हालांकि, एंटोनियो कोस्टा का जन्म मोज़ांबीक़ में हुआ, पर उनके रिश्तेदार आज भी गोवा के मरगाओ के नज़दीक रुआ अबेद फ़ारिया गांव से जुड़े हैं। मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ भी भारतीय मूल के राजनेता हैं, जिनकी जड़ें भारत के बिहार से जुड़ी हुई हैं। मॉरिशस के मौजूदा राष्ट्रपति पृथ्वीराजसिंह रूपन भी भारतीय मूल के राजनेता हैं। सिंगापुर की राष्ट्रपति हलीमा याक़ूब के पूर्वजों की जड़ें भी भारत से जुड़ी हैं। उनके पिता भारतीय मूल के थे, और उनकी मां मलय मूल की थीं।
इसके अलावा लैटिन अमेरिकी देश सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी भी ऐसे राजनेता हैं, जिनके तार भारत से जुड़े हुए हैं। कैरिबियाई देश गुयाना के राष्ट्रपति इरफ़ान अली के पूर्वजों की जड़ें भी भारत से जुड़ी हैं. उनका जन्म साल 1980 में एक भारतीय मूल के परिवार में हुआ था। सेशेल के राष्ट्रपति वावेल रामकलावन भी भारतीय मूल के नेता हैं, जिनके पूर्वज भारत के बिहार प्रांत से जुड़े हुए हैं। उनके पिता एक लोहार थे. वहीं, उनकी मां एक शिक्षिका थीं।
सवाल भारतीय मूल पर गर्व करने से कहीं अधिक यह है कि आखिर भारत से प्रतिभाएं विदेश क्यों चली जाती हैं? क्या भारत में प्रतिभा की कद्र नहीं? सरकार ऐसे प्रयास क्यों नहीं करती कि देश में ब्रेन गेन हो, ड्रेन नहीं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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