स्कूल खोलने के निर्णय पर बोले एक्सपर्ट, बच्चों के भविष्य का है सवाल

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  • सभी नियमों को मानते हुए स्कूल खोलने की दी सलाह
  • बच्चों को मानसिक, शारीरिक रूप से मजबूत बनाने को स्कूल जरूरी

गुरुग्राम, 18 जुलाई। कोरोना महामारी के चलते पिछले करीब डेढ़ साल से बंद स्कूलों को खोलना कितना सही, कितना सही नहीं तथा कोरोना की तीसरी लहर के प्रति जागरुकता विषय पर कैनविन फाउंडेशन के संस्थापक डा. डीपी गोयल ने शहर के नामी चिकित्सकों की राय ली। इस राय-मशविरे में यह निचोड़ निकला कि बच्चों को शारीरिक, मानसिक रूप से मजबूत बनाने को स्कूल खोलने बेहद जरूरी हैं। कोरोना का प्रभाव भी कम हुआ है, इसलिए बच्चों को कोरोना के सभी नियमों का पालन करते हुए स्कूल भेजा जाए।
डा. डीपी गोयल ने पैनल के एक्सपर्ट से सवाल किया कि कोरोना का असर बच्चों पर कितना पड़ सकता है। इसके जवाब में आटेर्मिस अस्पताल के पीडियाट्रिक एवं क्रिटिकल केयर विभाग के अध्यक्ष डा. प्रभात माहेश्वरी ने कहा कि यह सच है कि कोरोना ने हमें बहुत प्रभावित किया है। इसके अलावा बच्चों की पढ़ाई इसी वजह से खराब हुई है। सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि उनका घर में बंद रहने के कारण मानसिक और शारीरिक विकास भी प्रभावित हुआ है। वे सरकार के स्कूल खोलने के कदम को सही मानते हैं। स्कूल जाने से बच्चों का हर तरह से विकास हो पाएगा। बंद घरों से निकलकर वे जब खुले आसमान के नीचे जाएंगे तो उनके शरीर में अनेक सकारात्मक बदलाव देखे जा सकेंगे।
पहली लहर में बुजुर्गों, दूसरी में 30 से 40 साल के उम्र के लोगों और अब तीसरी लहर में बच्चों को लेकर की जा रही भविष्यवाणी में कितनी सच्चाई है। इसके जवाब में पीडियाट्रिशियन एवं नियोनैटॉलॉजिस्ट डा. हनीष बजाज ने कहा कि इस तरह की बातों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। ऐसा कोई नहीं बता सकता कि तीसरी लहर बच्चों को ही प्रभावित करेगी। सब बातें अपने-अपने हिसाब से कही जा रही हैं। पहले भी किसी को नहीं पता था कि कब, कैसे और कौन प्रभावित होगा।
डा. प्रभात माहेश्वरी ने कहा कि कोरोना की वजह से बड़ों के साथ बच्चे भी मानसिक रूप से प्रभावित हुए हैं। समस्याएं आई हैं। सरकार ने स्कूल खोलने का निर्णय पूरी समझदारी के साथ लिया है। हमें भी चाहिए कि पूर्ण सावधानी के साथ बच्चों को भी जागरुक करें और उन्हें स्कूल भेजें।
डा. गोयल ने सवाल किया कि क्या हम अभी स्कूल खोलने का और इंतजार नहीं कर सकते थे। इतनी जल्दबाजी क्या थी। उनके इस सवाल पर डा. रमेश अग्रवाल ने जवाब दिया कि जब भी यह काम किया जाएगा, ऐसे सवाल उठेंगे ही कि क्या जल्दबाजी थी। सीरो सर्वे में यह तथ्य आ चुके हैं कि 60-70 फीसदी बच्चों में एंटी बॉडी बन चुकी है। दूसरे हमारे यहां विशेषकर गुरुग्राम में वैक्सीनेशन अच्छा हुआ है। इसलिए स्कूल खोलने में किसी तरह का रिस्क नहीं रह गया है। कोरोना इतना प्रभावी भी नहीं रहा। केस भी कम हो गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना खत्म हो जाएगा, यह सोचना भी गलत है। यह कम हो सकता है खत्म नहीं। अब हमें इसके साथ जीना होगा।
कोरोना की वैक्सीन कितनी प्रभावी है, इस सवाल पर डा. प्रभात माहेश्वरी ने कहा कि जब से वैक्सीनेशन शुरू हुआ है, तभी से कोरोना के केसों में भी कमी देखी जा रही है। आगे भी हमें इसका लाभ ही होगा। हमारे यहां का इम्यून सिस्टम अच्छा है। उन्होंने कहा कि बच्चों की वैक्सीन पर भी अनुसंधान हो रहे हैं। उम्मीद है कि आगामी अगस्त, सितंबर तक बच्चों की वैक्सीन बनाने पर काम शुरू हो जाए। उन्होंने कहा हमें जल्दी वैक्सीन नहीं चाहिए। भले ही वैक्सीन देरी से आए पर प्रभावी आए।

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