सरकारी नौकर नहीं तो पत्रकार बनो

259
  • अपनी सेलरी लें, पत्नी या परिजन को मुफ्त में सेलरी दिलाएं
  • नगर निगम देहरादून में भुतहा कर्मचारियों में पत्रकारों के परिजन भी

पटवारी पेपर लीक कांड या अन्य भर्ती परीक्षाओं में हुए गोलमाल से हताश न हों। सरकारी नौकरी नहीं मिले तो पत्रकार बनें और जीवन भर का ऐश लें। सरकारी नौकरी में तो काम कर सेलरी मिलेगी। पत्रकार बन गये तो अपने संस्थान से सेलरी मिलेगी और पत्नी, भाई-बहन या अन्य परिजन के नाम से महीना बांधा जा सकता है। देहरादून में मुख्यधारा में काम कर रहे पत्रकारों की मौज है। कई दिग्गज पत्रकारों ने अपने परिजनों को विधानसभा सचिवालय में या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नौकरियां दिलवा दी हैं और उनके योग्य होने का ढ़िढोरा पीटते हैं।
अब नया प्रकरण देख लीजिए। नगर निगम देहरादून का है। कुछ पत्रकार अपनी पत्नी, भतीजी के नाम से वहां से हर महीने एक बड़ी रकम सेलरी के नाम से ले रहे हैं। नगर निगम सूत्रों के मुताबिक एक पत्रकार अंकुर अग्रवाल हैं जिसकी पत्नी वंदना अग्रवाल हर महीने निगम से वेतन हासिल कर रही है। जब मैंने वंदना से बात की तो उसे पता ही नहीं कि वह किस पद पर काम कर रही है और उसका वेतन क्या है?

https://www.facebook.com/gunanand.jakhmola/videos/1685750491857761
मैंने वंदना के साथ बातचीत का ऑडियो अटैच किया है। इस मामले में अभी और काम कर रहा हूं। संबंधित रिपोर्टर के संपादक से मैंने पूछा कि कुछ कार्रवाई की? उन्होंने स्वीकार किया कि शिकायत मिली है, उन्होंने मुझे कहा कि तुम उसे एक्सपोज कर दो। हम अपने स्तर पर भी कार्रवाई कर रहे हैं।
बेरोजगार युवाओं, पत्रकार बनो और बड़ी-बड़ी कारों में घूमो। नेताओं और अफसरों पर रौब गांठो। यही मौका है, सरकारी नौकरी के पीछे मत भागो।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

‘गुनाहों के देवता‘ हाकिम के नाम एक खुला खत

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here