ड्रोन बनेंगे हिमाचल प्रदेश की आर्थिक मजबूती के संवाहक

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file photo source: social media

शिमला, 8 अगस्त। प्रौद्योगिकी में हो रहे निरंतर बदलाव वास्तव में दुनिया को तीव्र गति से बदल रहे हैं। वर्तमान में प्रौद्योगिकी में इतने अधिक नवाचार सम्मलित हो गए हैं कि आज इसका उपयोग दुनिया की अधिकांश गंभीर समस्याओं के समाधान में कारगर है। ड्रोन तकनीक इन्हीं में से एक है।
ड्रोन तकनीक कृषि, बुनियादी ढांचे, निगरानी, खनन, भू-स्थानिक मानचित्रण, आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, रक्षा और कानून प्रवर्तन सहित विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह एक ऐसा उपकरण है जो अपनी व्यापकता के कारण रोजगार और आर्थिक विकास में सहयोगी है, विशेषकर दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के लिए वरदान है।
हिमाचल प्रदेश भविष्य की प्रौद्योगिकी के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार ने राज्य की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुख्य रूप से कृषि और बागवानी क्षेत्रों में मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) अथवा ड्रोन का अधिकतम उपयोग करने का निर्णय लिया है। चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और अपने शोध को प्रयोगशालाओं से खेतों तक ले जाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है ताकि किसानों को सबसे अधिक लाभ हो सके।
कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग दक्षता बढ़ाने, कीटनाशकों और उर्वरकों की बर्बादी में कमी लाने, पानी की बचत इत्यादि विशिष्टताओं के साथ किसानों के लिए एक वरदान साबित होगा। ड्रोन के माध्यम से पारंपरिक छिड़काव विधियों की तुलना में कम मात्रा में छिड़काव और उर्वरक अनुप्रयोग की लागत में कमी सुनिश्चित होगी। इससे खतरनाक रसायनों के प्रति मानव जोखिम भी कम हो जाएगा।
प्रगति व उन्नति के लक्ष्यों को सहजता से प्राप्त करने के लिए प्रदेश सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है। ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने ड्रोन पायलट को करियर के रूप में अपनाने के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए जल्द ही विभिन्न औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में ड्रोन पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है। यह तकनीक विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की व्यापक संभावनाएं भी प्रदान करती है। ड्रोन तकनीक दूरदराज के क्षेत्रों में समय पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने, आपात स्थिति के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया और आवश्यक वस्तुओं और सामग्रियों का आसानी से परिवहन सुनिश्चित कर सकती है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश की बागडोर संभालते ही राज्य में सुशासन को बढ़ावा देने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर विशेष बल दिया है। उनका कहना है कि ड्रोन तकनीक किसानों, बागवानों को संबल प्रदान करने, कानून एवं व्यवस्था की निगरानी के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
ड्रोन का उपयोग फोटोग्राफी, सूचना एकत्र करने या आपदा प्रबंधन के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, दुर्गम क्षेत्रों के भौगोलिक मानचित्रण, कानून प्रवर्तन, बचाव कार्यों में सहायता, वन्यजीव और ऐतिहासिक संरक्षण, भूमि उपयोग की वस्तुस्थिति जानने, कृषि एवं बागवानी के अलावा सेवा वितरण के लिए किया जा सकता है। प्रदेश के दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों से बागवानी उत्पादों के परिवहन के लिए ड्रोन के उपयोग की पहल भी राज्य में सफलतापूर्वक की गई है।
राज्य की कठिन भौगोलिक स्थिति के कारण ड्रोन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है। हाल ही में प्रदेश में भारी बारिश के कारण कई गांव सड़कों से कट गए और ड्रोन ने इन क्षेत्रों में दवाओं की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोविड के संकटकाल के दौरान यह भी देखा गया कि ड्रोन तकनीक परिपक्व हुई और स्वास्थ्य क्षेत्र में इसका बखूबी उपयोग किया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में हरित आवरण को बढ़ाने के लिए ड्रोन का उपयोग कठिन और दूरदराज के क्षेत्रों में बीज प्रसारक के रूप में किया जा सकता है। ड्रोन तकनीक के माध्यम से राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों में उगाई जाने वाली पारंपरिक हिमाचली फसलों और खाद्यान्नों की मैपिंग भी की जा सकती है।
हाल ही में 4 और 5 जुलाई को कांगड़ा जिले के पालमपुर में एक राष्ट्र स्तरीय हिमाचल ड्रोन कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न हितधारकों और छात्रों के लिए एक ड्रोन प्रदर्शनी व संवाद सत्र के अलावा 200 करोड रुपये के समझौता ज्ञापन भी हस्ताक्षरित किए गए।
हिमाचल ड्रोन संचालित तकनीक को अपनाने के लिए तेजी से अग्रसर है। भविष्य की यह तकनीक निश्चित रूप से राज्य में प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने में अहम योगदान देगी।

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