- चीफ सेकेट्री से अधिक वेतन पा रहे, विवादों से रहा है नाता
- सीएम धामी, जोशीमठ की बर्बादी जिम्मेदारी तय करें, हटा दें ऐसा अफसर
जोशीमठ में दिसम्बर 2021 से भवनों में दरार आनी शुरू हो गयी थी। यदि उस समय ही शासन-प्रशासन चेत गया होता तो आज इतनी बड़ी विपदा नहीं आती। कोई उपाय तलाशा जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सबसे अहम बात यह है कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की गहरी नींद खुली ही नहीं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तब सक्रिय होता है जब आपदा आ चुकी होती है। जोशीमठ में आपदा प्रबंधन के एक्सीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला पर सोशल एक्टिविस्ट अतुल सती ने शराब पीकर सर्वे करने का आरोप लगाया है। जोशीमठ आपदा के लिए पीयूष रौतेला भी जिम्मेदार हैं। और ऐसे में उन्हें तुरंत जेल में डाल दिया जाना चाहिए।
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डा. पीयूष रौतेला को लगभग तीन लाख रुपये वेतन मिलता है। यह वेतन प्रदेश के चीफ सेकेट्री से अधिक है। केदारनाथ आपदा के बाद में भी उन पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे हैं। पीयूष रौतेला कितने लापरवाह हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाईकोर्ट ने उन्हें गंगोत्री ग्लेशियर की मानीटरिंग करने में लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया था। महाशय 14 महीने निलंबित रहे। बड़ी मुश्किल से बहाल हुए हैं और अब यह बखेड़ा कर रहे हैं। मजेदार बात यह है कि जुलाई 2022 में उन्हें भारत सरकार ने 2019 में भू-स्खलन और भूकंप संबंधी शोध के लिए 2019 के लिए पुरुस्कार भी दिया है। हालांकि 2019 के बाद उत्तराखंड में भू-स्खलन और भूकंप की घटनाएं और अधिक बढ़ गयी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चाहिए कि ऐसे लापरवाह अधिकारी को तुरंत हटा दिया जाएं। पीयूष रौतला द्वारा आपदा प्रबंधन कार्यों में वित्तीय अनिमियतताओं की उच्चस्तरीय जांच हो और उनकी संपत्ति की भी जांच की जाएं। तब तक पीयूष रौतेला को जेल में डाल दिया जाना चाहिए।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]