क्यों न तिरंगा अभियान का खर्च मंत्री, विधायक और नौकरशाह उठाएं! क्या उन्हें देश से प्यार नहीं?

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– भाजपा का अभियान, बन गया सरकार का फरमान!
– बागेश्वर में छलका देशप्रेम का दर्द, शिक्षक झंडे के लिए 230 रुपये देने को तैयार नहीं

हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में हर घर तिरंगा अभियान चलाने पर सहमति हुई। यह भाजपा यानी पार्टी का अभियान था। लेकिन उत्तराखंड में इसे सरकारी फरमान बना दिया गया है। शासनादेश जारी हो चुके हैं। इस संबंध में आज मुख्य सचिव एसएस संधु वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हर जिले से संवाद करेंगे। यानी प्रदेश के 20 लाख घरों पर तिरंगा लहराने के लिए 20 लाख झंडे चाहिए, संभवत यह खर्च सरकार उठाएगी।
सरकार के पास पावर है। देश प्रेम की बात है तो राष्ट्रीय ध्वज हर कोई लगा सकता है। लगाना भी चाहिए, 15 अगस्त का दिन गौरव का है। हमारे स्वाभिमान का है। लेकिन मामला तब उलझ गया कि जब बागेश्वर के शिक्षकों ने देशप्रेम के नाम पर 230 रुपये की वसूली का विरोध किया। शिक्षकों से खादी के झंडे के लिए 230 रुपये मांगे गये। अधिकांश देने को तैयार नहीं हुए। भाई लोगों ने मुख्य शिक्षा अधिकारी का वसूली पत्र सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जब लगा कि शिक्षकों से वसूली न हो पाएगी तो आदेश निरस्त कर दिये गये।
दरअसल, 19 जुलाई को बागेश्वर के मुख्य शिक्षा अधिकारी गजेंद्र सिंह सौन ने एक पत्र कपकोट, गरुड़ और बागेश्वर के खंड शिक्षा अधिकारियों को जारी किया कि खादी के झंडे के लिए शिक्षकों और कर्मचारियों से 230 रुपये तीन दिन में एकत्रित सीडीओ बागेश्वर के यहां जमा करवा दें। यह झंडे खादी के बनने थे और इस कार्य को स्वयंसेवी समूहों से करवाना था। लेकिन किसी ने भी चवन्नी भी नहीं दी, सोशल मीडिया में पत्र वायरल होने के बाद 21 जुलाई को आदेश निरस्त कर दिये गये।
इस संबंध में मैंने बागेश्वर के सीडीओ संजय सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि सचिव के आदेशों के आधार पर यह पत्र जारी किया गया। यह स्वैच्छिक था। यानी जिसे देना था वो देता। मैंने पूछा यह तो भाजपा का कार्यक्रम है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में शासनादेश आया है। मैंने इसके बाद रात को चीफ सेक्रटरी डा. एसएस संधु से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका। प्रशासन देख रहे सचिव विनोद सुमन ने बताया कि उनकी जानकारी में हर घर तिरंगा सरकारी प्रोग्राम है लेकिन यह विभाग उनके पास नहीं है।
खैर, देशप्रेम की बात है। वैसे यदि एक राष्ट्रध्वज 230 रुपये का पड़ेगा और यह खर्च प्रदेश सरकार वहन करेगी तो लगभग 46 करोड़ रुपये खर्च होंगे। देशप्रेम के लिए यह मामूली रकम है। इतना तो एक प्रोजेक्ट में नेता और अफसर कमीशन खा जाते हैं। मैं तो ऐसे पत्र का इंतजार कर रहा हूं कि देशप्रेम के लिए 20 लाख झंडे मंत्री, विधायक और नौकरशाह अपने वेतन में या निजी कमाई से दें तो बात बनें। यह उनके देशप्रेम की एक मिसाल होगी।
खैर, जो लोग सच्चे देशभक्त हैं वह अपने घरों में स्वैच्छिक तौर पर झंडा फहरा कर सरकार के खर्च में कटौती कर सकते हैं।
जय हिंद, जय उत्तराखंड।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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