मिस्टर दिवाकर भट्ट, मिस्टर ऐरी, आखिर ये आमसभा का ढोंग किसलिए?

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  • अध्यक्ष समेत पूरी कार्यकारिणी पहले से ही तय, लोकतंत्र का माखौल उड़ा
  • 20 साल पुरानी और महिला प्रदेश अध्यक्ष प्रमिला के साथ कर गये खेल?
  • काशी सिंह ऐरी होंगे यूकेडी के पुराने अध्यक्ष
  • मेरी खबर पर लगी मुहर। संरक्षक ऐरी बन गए अध्यक्ष

यूकेडी के अध्यक्ष पद का चुनाव आज होना है, लेकिन यह चुनाव मात्र दिखावा है। हाथी के दिखाने की दांत की तर्ज पर। किसी को भी नामांकन पत्र भरने ही नहीं दिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार यूकेडी के वरिष्ठ नेता हरीश पाठक ने 8 जुलाई को वार्षिक आम सभा की सूचना जारी की। केंद्रीय अध्यक्ष पद के लिए आवेदन मांगे गए। बकायदा चुनावी समिति भी बनाई गयी।
सूत्रों के अनुसार यूकेडी महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष प्रमिला रावत अपनी कुछ सहयोगियों के साथ कल नामांकन के लिए यूकेडी कार्यालय पहुंची तो वहां चुनाव समिति का कोई भी सदस्य नहीं था। आरोप है कि प्रमिला को आवेदन फार्म ही नहीं दिया गया। धमकाया गया कि केंद्रीय अध्यक्ष का चयन सर्वसम्मति से कर दिया गया है। प्रमिला को सुबह दस बजे से शाम चार बज गए लेकिन किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली। न ही कोई चुनाव समिति का पदाधिकारी वहां मौजूद था। आरोप है कि समिति के सदस्यों के मोबाइल स्विच आफ थे। कहा गया कि महिलाओं के आवेदन पर विचार नहीं होगा।
आरोप है कि उस समय केंद्रीय कार्यालय में दस पुरुष नेता बैठे थे, किसी ने भी प्रमिला का साथ नहीं दिया। उल्टे उन्हें शोर मचाने से मना किया कि बात बाहर न जाएं। सीनियर नेता बीडी रतूड़ी ने भी प्रमिला के आवेदन फार्म पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया तो प्रमिला ने हताश होकर वाट्सएप पर ही अपना नामांकन भेज दिया।
प्रमिला ने यूकेडी को 20 साल दिए हैं और महिला इकाई की प्रदेश अध्यक्ष हैं। यूकेडी का जन्म ही मातृशक्ति के कारण हुआ। अब मातृशक्ति की यह उपेक्षा क्यों? मेरा सवाल यह भी है कि जब सब कुछ पूर्व निर्धारित है तो नामांकन मांगे ही क्यों? चुनाव समिति बनाई क्यों? क्या मीडिया में यह जताने के लिए कि यूकेडी में लोकतंत्र है? मौजूदा अध्यक्ष दिवाकर भट्ट और संरक्षक काशी सिंह ऐरी को जवाब देना चाहिए।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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