सीएम धामी की मजबूरी, प्रेमचंद हैं जरूरी

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  • गढ़वाल के सभी नेताओं से है कुर्सी का खतरा

धाकड़ कहे जाने वाले सीएम धामी की नीयत प्रदेश को लेकर बहुत अच्छी हो सकती है लेकिन यहां की राजनीति तो तांत्रिकों और माफियाओं के बीच उलझी है। प्रदेश के अधिकांश नेता अपनी कुर्सी बचाने और दूसरे की कुर्सी छीनने के लिए तंत्र-मंत्र साधना करते हैं। हर किस्म का दांव अजमाते हैं। किसी भी मंत्री या विधायक को देख लो, धाकड़ धामी को धोबी पछाड़ दाव से पटकने के लिए तैयार है। गढ़वाल के विधायकों और मंत्रियों का तो बुरा हाल है। सबके सब सीएम बनने के लिए तैयार। किसी भी प्रपंच और छल के लिए तैयार। वो ठान कर बैठे हैं कि धामी कोई गलती करे तो, मिसाइल तैयार है।
ऐसे में एक प्रेमचंद अग्रवाल ही है जो सीएम नहीं बनना चाहते। दूसरी बात, सीएम धामी अकेले हैं। उनके खास तीन दोस्त यतीश्वरानंद, संजय गुप्ता और राजेश शुक्ला तीनों ही चुनाव हार गये। हार तो वह भी गये थे, लेकिन किस्मत से बाजीगर निकले। जब कोई साथ न दे, चारों ओेर दुश्मन ही दुश्मन हों तो फिर प्रेम से प्रेम नहीं होगा तो क्या होगा?
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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