हिमाचल में उद्योगों को बर्बाद करना चाहती है सुक्खू सरकार

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शिमला, 10 सितंबर। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल की सुक्खू सरकार प्रदेश के उद्योगों को बर्बाद करना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिजली शुल्क में डेढ़ गुना वृद्धि इसका प्रमाण है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने जहां बिजली शुल्क बढ़ाए वहीं, उल्टे पिछली सरकार द्वारा नए उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए दी गई रियायतों को भी वापस ले लिया। उन्होंने कहा यह एक दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीतिक बदले की भावना से लिया गया फैसला है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार पार्टी की नहीं प्रदेश की होती है। एक सरकार उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहन देती है, दूसरी सरकार आकर वह सुविधाएं छीन लेती है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कोरोना के बाद प्रदेश में उद्योग-धंधों को गति देने के लिए हमारी सरकार ने उद्योगों को निर्धारित समय के लिए कुछ रियायतें दी थी। उसे भी खत्म कर दिया गया है। जयराम ठाकुर ने कहा ऐसे चलता रहा तो प्रदेश में नए उद्योग आने के बजाय जो यहां काम कर रहे हैं, वे भी बाहर जाने को मजबूर हो जाएंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उद्योग लगाने के लिए हम उद्योगपतियों को देश में सबसे सस्ती बिजली देने का वादा करके लाए और आज उन्हें सबसे महंगी बिजली मिल रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उद्योगों के लगने से प्रदेश में उत्पादन होता हैं। प्रदेश में हजारों की संख्या में लोगों को सीधा रोजगार मिलता है। इसके अलावा भी तमाम तरह के अवसर उपलब्ध होते हैं। बिना उद्योगों के प्रदेश के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है लेकिन सरकार प्रदेश में उद्योग धंधों को बर्बाद करना चाहती है। इस तरह के फैसले लेने वाले लोग उसी डाल को काटना चाहते हैं, जिस पर बैठे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में उद्योग धंधों को बर्बाद करने और उन्हें प्रदेश से बाहर भेजने पर योजनाबद्ध तरीके से काम हो रहा है। एक तरफ सरकार के तुगलकी फैसले उद्योगों में आर्थिक असुरक्षा की भावना पैदा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बेखौफ माफिया तंत्र उद्योगपतियों को डरा रहा है। जिसके कारण वह स्वयं ही प्रदेश से जाना चाहते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह माफिया किसकी शह पर काम कर रहे हैं। इन्हें कौन संरक्षण दे रहा है। यह बात मुख्यमंत्री को पता करके, उन पर कार्रवाई करनी चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि नई दरों के तहत एचटी (हाई टेंशन) के अधीन आने वाले उद्योग के लिए बिजली शुल्क 11 प्रतिशत से बढ़ाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि ईएचटी (एक्सट्रीम हाई टेंशन) उद्योगों के लिए इसे 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया है। छोटे और मध्यम उद्योगों पर बिजली शुल्क 11 प्रतिशत से 17 प्रतिशत तक बढ़ाया है। सीमेंट संयंत्रों पर बिजली शुल्क 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। यही नही डीजी (डीजल जनरेटर) सेट द्वारा बिजली उत्पादन पर 45 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली शुल्क भी लगाया गया है और कैप्टिव उत्पादन और हरित ऊर्जा पर विद्युत शुल्क में दी गई छूट भी वापस ले ली गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न बिजली उपयोग के आधार पर पूर्व सरकार ने पांच साल तक बिजली में रियायत देने की नीति बनाई थी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिजली शुल्क में वृद्धि से प्रदेश में सीमेंट और लोहे के दाम भी महंगे हो जाएंगे। जिससे आपदा में अपना घर गंवा चुके लोगों को दोहरी मार पड़ेगी। प्रदेश सरकार पहली आपदा के बाद ही डीजल के दाम बढ़ाकर आपदा प्रभावित लोगों पर महंगाई का बोझ पहले ही डाल चुकी हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सुक्खू सरकार बिजली, पानी, कूड़ा उठाने के साथ प्रापर्टी टैक्स बढ़ाकर लोगों पर महंगाई का बोझ पहले ही डाल चुकी है। सत्ता में आते ही सरकार ने व्यवस्था परिवर्तन की बात की और लोगों के जेब पर बोझ डालने का काम करना शुरू कर दिया। हर चीज के दाम बढ़ा दिए। जिन्हें हमारी सरकार में बिजली, पानी, डीजल, सब महंगा लगता था और रोज सड़कों पर उतर कर शोर मचाते थे। आज उन्होंने सारी चीजों के दाम बढ़ा दिए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपदा के समय में भी प्रदेश के लोगों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष महंगाई का बोझ बढ़ाना किसी भी तरह से सही नहीं हैं।

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