किन्नौर की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित करने की जरूरत

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रिकांगपिओ, 24 मार्च। भाषा एवं संस्कृति विभाग किन्नौर ने आज आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के तहत जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के विभिन्न भागों से आए कवियों सहित स्थानीय कॉलेज के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। इस दौरान कवि साहित्यकारों ने जहां कविताओं के माध्यम से समाज में घट रही विभिन्न घटनाओं का जिक्र किया वहीं जिले की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का सरंक्षण करने पर भी बल दिया।
जिला लोक संपर्क अधिकारी एवं जिला भाषा अधिकारी नरेंद्र शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि किन्नौर जिला अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों, रीति-रिवाजों, पहरावा और अलग खानपान के लिए देशभर में जाना जाता है। यहां समय-समय पर मनाए जाने वाले त्यौहारों में जिले की समृद्ध संस्कृति झलकती है जिसे भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा हिंदी को बढ़ावा देने के साथ-साथ जिले की पारंपरिक किन्नौरी बोली के संरक्षण पर भी बल दिया जा रहा है तथा इस उद्देश्य के लिए विभाग द्वारा समय-समय पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इस अवसर पर साहित्यकार एवं कवि भगत सिंह किन्नर ने सतलुज नदी को जिले की जीवनदायनी बताते हुए सतलुज नदी का जिले की सांस्कृतिक व आर्थिक क्षेत्र में क्या महत्व है पर प्रकाश डाला। उन्होंने सतलुज के पौराणिक वैभव को भी कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि टाशी छैरिंग नेगी ने ‘मैं कागज पर अपने अलफाज लिखता हूं’ व कोरोना महामारी के समय किस प्रकार मनुष्य अलग-थलग पड़ गए थे व जिंदगी क्या है इसे कविताओं के माध्यम से बयान किया।
कवि जय पाल नेगी ने अपने गांव लिप्पा का कविता के माध्यम से सुंदर विवरण किया। कवि राम भगत नेगी ने भी विभिन्न कविताओं के माध्यम से उपस्थित युवाओं को संदेश दिया वहीं प्रकाश चंद ने मां की ममता व देश ने किस प्रकार आजादी पाई को कविता के माध्यम से व्यक्त करते हुए स्वतंत्रता सैनानियों को श्रृद्धांजलि दी।
कवयित्री किरण कुमारी ने किन्नौर जिले के बारे में कविता के माध्यम से बताया साथ ही उन्होंने किस प्रकार परिवार से घर व समाज का निर्माण होता है इसे भी बाखूबी प्रस्तुत किया।
कवि राजेश पाल ने शिक्षित बनना है-समाज को शिक्षित बनाना है इस पर कविता पाठ किया। कवि मुकेश चंद ने जल के महत्व, विलुप्त हो रही गौरिया कविता व गजल प्रस्तुत की। प्रभुकांत ने भी इस अवसर पर विभिन्न विषयों पर कविताओं के माध्यम से अपने विचार प्रकट किए।

अनुभूति की अभिव्यक्ति है कविता

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