“माघ मास के महापर्व मौनी अमावस्या का महत्व”

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[प्रयागराज से, वरिष्ठ पत्रकार, “आचार्य श्रीकांत शास्त्री]

पूरे माघ मास में गंगा जमुना सरस्वती सहित पवित्र नदियों में स्नान-दान, पूजा-अर्चना से होती है अत्यधिक सुख-शांति की प्राप्ति। माघ मास के मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रहकर पूजा अर्चना स्नान ध्यान करने से पूरे एक माह का लाभ की प्राप्ति होती है। इस दिन एकान्तवास मे ध्यान आदि करने से मन की शुद्धि एवं भगवान की प्राप्ति होती हैं। इस दिन मनुष्य को छल, प्रपंच, निंदा आदि से बचना चाहिए। माघ मास के महापर्व मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर ईश्वर का ध्यान करने पर एक विशेष शक्ति की प्राप्ति होती है।

धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार माघ मास के मौनी अमावस्या पर पूजा-अर्चना व संगम सहित सभी नदियों मे स्नान दान करने से भगवान सूर्यनारायण को प्राप्त किया जा सकता है तथा इन दिनों नदी में स्नान करने से स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग भी मिलने का फल प्राप्त होता है। मौनी अमावस्या पर वृद्ध, आसक्त, कमजोर, मजबूर, बच्चे, बीमार व्यक्ति भी चाहे तो मन को शान्त रखकर अपने घर के जल मे संगम सहित पवित्र नदियों के अमृत रूपी थोडे से जल डालकर स्नान करके ईश्वर का ध्यान करते हैं तो इनको भी वही फल प्राप्त होगा। महापर्व मौनी अमावस्या के दिन भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य देने (जल चढाने) से एवं 108 बार तुलसी परिक्रमा करने से समस्त प्रकार के दुःख, कष्ट, गरीबी व दरिद्रता का नाश होता है।

माघ मास का महापर्व मौनी अमावस्या इस वर्ष 1 फरवरी 2022 दिन मंगलवार को मनाने का योग है। वैसे तो माघ मास के हर दिन को शुभ एवं पर्व माना जाता है। महापर्व मौनी अमावस्या माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के रूप में सुप्रसिद्ध है। इस दिन सूर्य तथा चन्द्रमा गोचरवश मकर राशि में आते हैं और इस दिन उपासना करने से धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थों की सहज प्राप्ति होती है साथ ही भौतिक सुख-सुविधाओं का आवागमन होने लगता है। इसलिए इस दिन का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन को महर्षि मनु ऋषि जी का जन्मदिवस भी माना जाता है, इसलिए इस दिन को अमावस्या/मौनी अमावस्या कहा जाता है।

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