उत्तराखंड के लिए देवदूत हैं पूर्व फौजी

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  • निकम्मे कर्मचारियों, नेताओं, अफसरों पर खर्च हो रही जनता की कमाई
  • प्रदेश बचा रहे पूर्व फौजियों को सलाम, अग्निवीरों को अग्रिम सलाम

विधानसभा में कल कैग रिपोर्ट सदन में रखी गयी। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड पर अब तक 2020 तक राज्य पर 73,751 करोड़ रुपये का कर्ज था। पिछले दो साल में भी यह कर्ज बढ़ गया होगा। सबसे अहम बात यह है कि भाजपा की डबल इंजन सरकार में 2016-17 से 2020-21 की अवधि में राज्य सरकार ने 29168 करोड़ रुपये का ऋण लिया। यानी राज्य गठन के 17 वर्ष में जितना कर्ज लिया गया उतना भाजपा सरकार ने पांच साल में ही ले लिया। कर्ज की इतनी भारी भरकम राशि से भाजपा सरकार ने किया क्या? यह गंभीर सवाल है। न स्वास्थ्य सुविधाएं सुधरी, न शिक्षा, न रोजगार और न ही बुनियादी सुविधाएं। पता चला कि 54 फीसदी कमाई तो वेतन-भत्तों पर ही खर्च हो रही है।
ऐसे में प्रदेश की जनता को पूर्व सैनिकों का दिल की गहराइयों से आभार प्रकट करना चाहिए। यदि ये पूर्व फौजी नहीं होते तो उत्तराखंड अब तक डेढ़ लाख करोड़ के कर्ज में डूब गया होता। कारण, उपनल के माध्यम से लगभग 20 हजार पूर्व फौजी सरकार का कार्य महज 15000 रुपये मासिक के तौर पर काम कर रही है। जबकि इसी काम के लिए सरकारी कर्मचारी 40 से 50 हजार रुपये महीना लेता है। इसके बावजूद सरकारी कर्मचारी कामचोर होता है और उसका सारा ध्यान ऊपरी कमाई या कमीशनखोरी पर होता है।
पूर्व फौजी हमारे प्रदेश के देवदूत हैं। उनको दिल से सलाम।
अब मोदी सरकार अग्निवीर पैदा करेगी। वैसे तो ये अग्निवीर अडाणी-अंबानी के चौकीदार ही बनेंगे, लेकिन मेरा यह भी मानना है कि चार साल बाद जब ये वापस आएंगे तो उत्तराखंड सरकार उपनल के माध्यम से इनका भी खून चूसेगी। इसलिए अग्निवीरों को भी अग्रिम सलाम।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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