नई दिल्ली, 2 अक्टूबर। उत्थान फ़ाउडेशन द्वारका ने गांधी जयंती के अवसर पर आज एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया। जिसका विषय था- गांधीजी के विचारों के संदर्भ में आज का साहित्य- संस्मरण, चर्चा एवं काव्य पाठ।
कार्यक्रम संचालिका अरूणा घवाना ने अपने वक्तव्य में कहा कि महात्मा गांधी कभी नहीं मर सकते। उनकी विचारधारा अपनाकर मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला, वू पेई, सीमांत गांधी और हिमाचल के पहाड़ी गांधी स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे।
वेबिनार के मुख्य अतिथि नीदरलैंड से प्रो मोहनकांत गौतम थे। उन्होंने कहा कि हिन्दी साहित्य ने गांधीवाद को तो लिखा पर गांधी के बारे में किसी ने नहीं लिखा। जो दुःखद है।
अतिथि वक्ता यूएसए से विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस के वैश्विक समन्वयक अनूप भार्गव ने कहा कि गांधी को टुकड़े-टुकड़े में समझने के बजाय उनके व्यक्तित्व को संपूर्ण समझना बहुत ज़रूरी है। गांधी सिर्फ़ जयंती पर ही याद नहीं किए जाने चाहिए। उन्हें जिया जाना चाहिए।
दक्षिण अफ्रीका में गांधी के रिश्तेदारों के करीबी राधी ने भी गांधी के संत बनने की घटना का जिक्र किया। साथ ही उनके पौत्र अरुण गांधी के बारे में एक दिलचस्प संस्मरण सुनाया।
स्वीडन से इंडो स्कैंडिक संस्थान के उपाध्यक्ष सुरेश पांडेय ने आपसी प्यार और भाईचारे की बात करते हुए आज के संदर्भ में गांधीवाद को उचित ठहराया।
अन्य वक्ताओं में लंदन से शैल अग्रवाल, स्पेन से पूजा, मॉरीशस से सविता, दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. बिजेंद्र, मुंबई से असिस्टेंट डायरेक्टर विवेक ने मुन्ना भाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्ना भाई, गांधी जैसी फि़ल्मों का जिक्र किया।
हिमाचल प्रदेश से प्रो. लेखराम नेगी ने इस मौके पर हिमाचल के पहाड़ी गांधी को याद किया।
सबने एक स्वर में स्वीकार किया कि दुनिया को यदि तरक्की के रास्ते पर ले जाना है तो अहिंसा ही एकमात्र विकल्प है।