शोधकर्ताओं ने पाया कि बादाम खाने से सामान्य से ज्यादा ब्लड शुगर वाले युवा वयस्कों और किशोरों में HbA1c और ब्लड लिपिड को सुधारने में मिल सकती है मदद
नई दिल्ली, 7 जुलाई। पिछले 40 वर्षों में, पूरी दुनिया में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या चौगुनी हो गई है। खासतौर से भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वास्तव में भारत में सामान्य से हाई ब्लड शुगर वाले लोग हर साल ज्यादातर टाइप-2 डायबिटीज के शिकार होते हैं। यह संख्या लगभग 14-18 फीसदी है। इस ट्रेंड को बदलने के लिए जीवन शैली में कई बदलाव करने होंगे।
जब नाश्ते के विकल्पों की बात आती है, तो बादाम एक आसान और स्वादिष्ट आहार की रणनीति हो सकती है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि बादाम खाने से भारत में किशोरों और युवा वयस्कों में सामान्य से ज्यादा ब्लड शुगर वाली स्थिति में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म सुधारने में मदद मिली।
रैंडम तरीके से कंट्रोल किए गए इस क्लिनिकल ट्रायल का उद्देश्य मेटाबॉलिक कार्यप्रणाली पर बादाम खाने के असर को जानना था। इसमें मुंबई में रहने वाले 16 से 25 साल के किशोरों और नौजवानों में ब्लड ग्लूकोज, लिपिड, इंसुलिन, और चयनित भड़काऊ मार्कर्स का प्रभाव देखा गया। यह स्टडी रैंडम और समानांतर तरीके से की गई है, जिसमें बिगड़े हुए ग्लूकोज मेटाबॉल्जिम (प्रीडायबिटीज) से पीड़ित 275 भागीदारों (59 पुरुष, 216 महिला) पर स्टडी की गई। अध्ययन की शुरुआत में, प्रतिभागियों के वजन, ऊंचाई और कमर और कूल्हे की परिधि को मापा गया और फास्टिंग ब्लड सैंपल भी लिए गए। अध्ययन में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट भी हुआ और उनके लिपिड प्रोफाइल का आकलन किया गया।
अध्ययन में बादाम खाने वाले ग्रुप (एन = 107) ने तीन महीने तक 56 ग्राम (लगभग 2 एक औंस सर्विंग या 340 कैलोरी) प्रतिदिन बिना भुना हुआ बादाम खाया और कंट्रोल ग्रुप (एन = 112) ने इसी कैलोरी के एक नमकीन स्नैक का सेवन किया। बादाम के रूप में स्नैक्स की खपत का परीक्षण आल्मंड ग्रुप में किया गया था, जबकि कंट्रोल ग्रुप ने एक नमकीन स्नैक का सेवन किया था, जो आमतौर पर भारत में इस आयु वर्ग की ओर से खाया जाता है। बादाम और नमकीन दोनों तरह के स्नैक्स में प्रतिभागियों के कुल कैलोरी सेवन का 20 फीसदी हिस्सा होता है।
अध्ययन की अवधि के दौरान यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिभागियों की निगरानी की गई थी कि वे अपने स्नैक्स खाने में नियमो का पालन कर रहे हैं या नहीं। अध्ययन के अंत में प्रतिभागियों ने आहार सेवन का आकलन पूरा किया और वही माप और रक्त परीक्षण फिर से किए गए।
बादाम समूह में, HbA1c (यह लंबी अवधि में ब्लड कंट्रोल करने का उपाय है, जो प्रीडायबिटीज और मधुमेह के रोगियों की जांच के लिए मानक के रूप में भी काम करता है) नियंत्रण समूह की तुलना में काफी कम हो गया। प्री-डायबिटीज स्टेज में ब्लड ग्लूकोज के लेवल में सुधार से डायबिटीज को रोकने या शरीर में डायबिटीज पनपने में देरी करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा बादाम की खपत ने कुल कोलेस्ट्रॉल और “खराब” एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण समूह की तुलना में काफी कम कर दिया, जबकि “अच्छे” एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बरकरार रखा।
बादाम खाने वाले और कंट्रोल ग्रुप में वजन, ऊंचाई, कमर या कूल्हे की परिधि या जैव रासायनिक मार्करों के माप में कोई बदलाव नहीं हुआ और न ही मैक्रोन्यूट्रिएंट का सेवन करने से शुरुआत से अंत तक कोई प्रभाव पड़ा। बादाम खाने वाले ग्रुप में भड़काऊ मार्कर (TNF-α और IL-6) कम हो गए और कंट्रोल ग्रुप में यह काफी बढ़ गए। लेकिन यह सांख्यिकी लिहाज से से महत्वपूर्ण परिणाम नहीं था। आल्मंड ग्रुप की तुलना में कंट्रोल ग्रुप के फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज लेवल का स्तर काफी कम हो गया था। आल्मंड ग्रुप में एफजी: एफआई अनुपात (फास्टिंग ग्लूकोज : फास्टिंग इंसुलिन) कम हो गया, जबकि कंट्रोल ग्रुप में में यह बढ़ गया लेकिन यह सांख्यिकी लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं था।
सर विट्ठल्डिस ठाकरसी कॉलेज ऑफ होम साइंस (स्वायत्त) एसएनडीटी वुमन यूनिवर्सिटी (मुंबई) के प्रिंसिपल, प्रमुख जांचकर्ता और पीएचडी, प्रोफेसर डॉ. जगमीत मदान ने कहा, “किशोरों और युवाओं की जीवन शैली में सुधार से, जिसमें पोषण और व्यायाम शामिल है, सामान्य से अधिक ब्लड कंट्रोल वाले लोगों में डायबिटीज की प्रगति रोकने की क्षमता है। इस स्टडी के नतीजों से पता चलता है कि बदलाव बड़ा ही हो, यह जरूरी नहीं है । बस दिन में दो बार बादाम खाने से भी फर्क पड़ सकता है। अध्ययन के परिणाम यह दिखाने में काफी आशावादी हैं कि बादाम ने किस तरह टोटल और एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार किया और केवल 12 सप्ताह की खपत में HbA1c के स्तर को कम किया।“
अध्ययन की सीमाओं में शामिल है कि प्रतिभागियों के साथ धोखा नहीं किया जा सकता। जो भी नतीजे होंगे, उनको पता चलते रहेंगे। इसके अलावा, पोषण संबंधी दखल से अध्ययन में शामिल समूहों के व्यवहार में बदलाव आ सकता है। प्रतिभागियों को स्टडी में शामिल करते हुए उनको जोखिम के बारे में बताया जाता है। इसके अलावा अन्य आयु समूहों और विभिन्न जातियों में इसी तरह के मानकों पर बादाम के सेवन के प्रभाव की जांच के लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है।
इस रिसर्च में नौजवानों में बादाम की खपत की संभावित भूमिका की जांच करने वाले एक और अध्ययन को भी शामिल किया गया है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय मर्सिड के शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया के बादाम बोर्ड की ओर से वित्त पोषित एक स्टडी में दिखाया गया कि कॉलेज के जो छात्र सुबह नाश्ता नहीं करते, उनके लिए सुबह बादाम खाना एक स्मार्ट विकल्प हो सकता है। मुख्य रूप से नाश्ता न करने वाले कॉलेज के नौजवानों (18 से 19 वर्ष की उम्र के 73 पुरुषों और महिलाओं) ने या तो बादाम या ग्रैहम क्रैकर्स का सेवन किया। इससे उनके कोलेस्ट्रोल में कमी आई और ब्लड ग्लूकोज में भी सुधार देखने में मिला। रक्त शर्करा के स्तर में सुधार किया, लेकिन बादाम के लाभ अधिक थे। जिन लोगों ने बादाम का नाश्ता किया, उन्होंने 8 सप्ताह के अध्ययन में “अच्छे” एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बेहतर बनाए रखा और ब्लड शुगर में सुधार किया।
परिणामों से पता चला कि बादाम खाने वाले ग्रुप के पास कई ग्लूको रेगुलेटरी और कार्डियोमेटाबोलिक हेल्थ इंडिकेटर के बेहतर उपाय थे, जिनमें शामिल हैं:
• वक्र के नीचे 13% कम 2 घंटे का ग्लूकोज क्षेत्र (एयूसी)
• 34% कम इंसुलिन प्रतिरोध सूचकांक (IRI)
• ओरल ग्लूकोज टोलरेंस टेस्टिंग के दौरान 82 फीसदी हायर मात्सुडा सूचकांक, जो इंसुलिन संवेदनशीलता के सकल अनुमान का प्रतिनिधित्व करता है। बादाम खाने वालों के बीच यह सूचकांक लगभग दोगुना हो गया।
• एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल लेवल की बेहतर सुरक्षा। दोनों समूहों ने एचडीएल कोलेस्ट्रॉल में कमी देखी, लेकिन ग्रैहम क्रैकर स्नैकर्स में 24.5 फीसदी की कमी की तुलना में बादाम स्नैकर्स के स्तर में 13.5% की गिरावट आई।
बादाम फाइबर (12.5 / 3.5 ग्राम प्रति 100ग्राम / 30 ग्राम सर्विंग) और 15 आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इसमें (प्रति 100 ग्राम / 30 ग्राम सर्विंग) शामिल है। मैग्नीशियम, (270/81 मिलीग्राम), पोटेशियम (733/220 मिलीग्राम), और विटामिन ई (25.6 / 7.7) मिलीग्राम) शामिल है। इससे बादम उन लोगों के लिए पोषण युक्त नाश्ता बन जाता है, जिके ब्लड कंट्रोल लेवल में सुधार नहीं होता या जो टाइप 2 के डायबिटीज के मरीज होते हैं।
एक नजर में अध्ययन:
द स्टडी
• यह अध्ययन बिगड़े हुए मेटाबोलिज्म (प्रीडायबिटीज) के साथ 275 प्रतिभागियों (59 पुरुष, 216 महिला) का एक रैंडम और समानांतर परीक्षण था। अध्ययन के प्रतिभागियों ने फास्टिंग/स्टिमुल्टेड ब्लड ग्लूकोज (फास्टिंग ग्लूकोज (100-125 मिलीग्राम/डीएल), 2 घंटे बाद ग्लूकोज (140-199 मिलीग्राम/डीएल)] और/या इंसुलिन [उपवास इंसुलिन (=15mIU/ml)/उत्तेजित किया था इंसुलिन (= 80mIU/ml)]
• अध्ययन की शुरुआत में, प्रतिभागियों के वजन, ऊंचाई और कमर और कूल्हे की परिधि को माप लिया गया। फास्टिंग ब्लड सैंपल भी लिए गए। प्रतिभागियों का ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट किया गया और उनके लिपिड प्रोफाइल का आकलन किया गया।
• संपूर्ण रक्त गणना के लिए संपूर्ण रक्त का विश्लेषण किया गया, जिसमें हीमोग्लोबिन, व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC), रेड ब्लड सेल्स (RBC), प्लेटलेट्स, मीन कॉर्पसकुलर वॉल्यूम (MCV), मीन कॉर्पसकुलर हीमोग्लोबिन (MCH) और मीन कॉर्पसकुलर हीमोग्लोबिन कॉन्सेंट्रेशन (MCHC) शामिल हैं
• बादाम समूह (n=107) ने 3 महीने तक प्रतिदिन 56 ग्राम (लगभग 2 सर्विंग्स, या 340 कैलोरी) बादाम खाया और नियंत्रण समूह (n = 112) ने भारत में समान संख्या वाली कैलोरी के में नमकीन नाश्ते का सेवन किया। स्वाद देने के लिए यह नाश्ता 2 किस्मों में तैयार का गया था, जिसे बनाने में गेहूं के आटे, बेसन के आटे, नमक और भारतीय मसालों का उपयोग किया गया था। पूरे 90-दिवसीय अध्ययन के दौरान, प्रतिभागियों की निगरानी यह सुनिश्चित करने के लिए की गई कि वे बादाम या नमकीन स्नैक्स नियमित रूप से खाएं।
• अध्ययन के अंत में (3 महीने) प्रतिभागियों ने आहार सेवन का आकलन पूरा किया और वही माप और रक्त परीक्षण फिर से किए गए।
परिणाम
• कंट्रोल ग्रुप (टेबल 1) की तुलना में बादाम खाने वाले ग्रुप में HbA1c के स्तर में कंट्रोल ग्रुप से काफी सांख्यिकीय कमी देखी गई।
• नियंत्रण समूह की तुलना में बादाम खाने वाले समूह में फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज में कमी आई, जिससे फास्टिंग इंसुलिन अनुपात (FG:FI) भी कम हुआ, लेकिन सांख्यिकीय रूप से यह महत्वपूर्ण नहीं थी। बादाम खाने वाले ग्रुप की तुलना ब्लड ग्लूकोज लेवल को काफी कम कर दिया गया था।
• अध्ययन के अंत में दो समूहों के बीच और प्रत्येक समूह के बीच आधार रेखा की तुलना में HOMA-IR में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था।
• ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म के लिए दूसरे बायोमार्करों की तुलना में अध्ययन के अंत में बादाम और नियंत्रण समूहों के बीच शुरुआत से कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं देखा गया।
• कंट्रोल ग्रुप की तुलना में बादाम खाने वाले ग्रुप के टोटल कोलेस्ट्रोल और एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल लेवल में सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण कमी आई। एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल लेवल में बढ़ोतरी हुई। ट्राइग्लिसराइड के स्तर में कमी आई। कंट्रोल ग्रुप की की तुलना में बादाम खाने वाले ग्रुप में वीएलडीएल-सी के स्तर में कमी आई, लेकिन यह सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं था।
निष्कर्ष:
अध्ययन में दिखाया गया कि बादाम का ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म पर काफी प्रभाव पड़ता है। भारत में किशोरों और युवा वयस्कों में केवल 12 हफ्ते में मधुमेह के विकास के जोखिम को HbA1c के स्तर को कम कर घटाया गया। जब एक नाश्ते के रूप में शामिल किया गया, तो बादाम ने “अच्छे” एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखते हुए कुल कोलेस्ट्रॉल और “खराब” एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल को कम करके डिस्लिपिडेमिया को मैनेज करने में मदद की। बादाम एक पौष्टिक स्नैक हो सकता है जो नियमित स्नैक्स के विकल्पों की जगह ले सकता है। यह नौजवानों में डायबिटीज को पनपने से रोकने या देरी करने में मदद करने की भोजन आधारित रणनीति का हिस्सा हो सकता है।