काठमांडो, 2 जून। नेपाल में प्रतिनिधि सभा भंग किए जाने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय की नई संविधान पीठ छह जून को गठित की जाएगी। न्यायमूर्तियों के बीच मतभेद के कारण अहम सुनवाई में देरी होने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने बुधवार को यह घोषणा की।
प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की ओर से यह घोषणा तब की गई जब न्यायमूर्ति दीपक कुमार कार्की और न्यायमूर्ति आनंद मोहन भट्टाराई ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली और सदन भंग करने के मामले में सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय संविधान पीठ से खुद को बाहर कर लिया। ‘हिमालयन टाइम्स’ ने खबर दी कि जब न्यायमूर्ति तेज बहादुर केसी और न्यायमूर्ति बाम कुमार श्रेष्ठ ने मामले से खुद को अलग करने से इनकार किया तो दोनों न्यायमूर्तियों ने पीठ से खुद को बाहर कर लिया।
नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को 22 मई को पांच महीनों में दूसरी बार भंग कर दिया था और अल्पसंख्यक सरकार की अगुवाई कर रहे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सलाह पर 12 नवंबर और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनावों की घोषणा की।
इससे पहले, सदन भंग करने संबंधी मामले को चुनौती दे रहे याचिकाकर्ताओं ने हितों के टकराव का हवाला देते हुए मांग की थी कि न्यायमूर्ति केसी और न्यायमूर्ति श्रेष्ठ खुद को मामले से अलग करें। न्यायमूर्ति श्रेष्ठ उच्चतम न्यायालय की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के एकीकरण को रद्द किया था और न्यायमूर्ति तेज बहादुर केसी उस पीठ मे थे जिसने सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-एमसी के एकीकरण को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका को खारिज किया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यूएमएल और सीपीएन-एमसी के एकीकरण को रद्द करने से ही प्रतिनिधि सभा भंग हुई। खबर में बताया गया कि न्यायमूर्ति तेज बहादुर केसी और न्यायमूर्ति श्रेष्ठ ने कहा कि इन दोनों के बीच कोई अर्थपूर्ण संबंध नहीं है।
इस बीच, उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष पूर्ण मान शाक्य ने बताया कि एससीबीए के पदाधिकारियों ने प्रधान न्यायाधीश राणा से बुधवार को मुलाकात की और उनसे किसी भी विवाद से बचने के लिए चार वरिष्ठतम न्यायमूर्तियों को संविधान पीठ में नियुक्त करने की अपील की।
नेपाल की शीर्ष अदालत न्यायाधीशों की वरिष्ठा के आधार पर संविधान पीठ का गठन करने पर मंगलवार को सहमत हुई थी। न्यायमूर्तियों के खुद को पीठ से अलग कर लेने पर पैदा विवाद के चलते सोमवार को सुनवाई स्थगित हो गई थी। संविधान पीठ के लिए रोस्टर में शामिल 13 न्यायमूर्तियों ने सोमवार को इस मुद्दे पर विचार किया था।
(साभारः भाषा)