20 दिन के संघर्ष में बुलंद हौंसलों से 80 वर्षीय शांति अरोड़ा ने जीती कोरोना की जंग

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कुरुक्षेत्र, 24 मई। कोरोना वायरस को मात देने के लिए सिर्फ हौंसलों को बुलंद करना ही जरुरी है, इसका उदाहरण प्रस्तुत किया है कुरुक्षेत्र की 80 वर्षीय महिला शांति अरोड़ा ने। इस महिला ने एलएनजेपी अस्पताल में 20 दिन तक कोरोना के साथ संघर्ष किया और आखिरकार कोरोना को हराकर अपने परिवार के सदस्यों में पहुंच गई है। इस महिला ने अपने हौंसलों और दृढ़ निश्चय से ही कोरोना की लड़ाई में जीत हासिल की है।

कुरुक्षेत्र की शांति अरोड़ा को 26 अप्रैल को हल्का बुखार हुआ और 3 मई को उनका कोरोना सैंपल पॉजिटिव आया। इसके बाद उन्हें सिविल अस्पताल में दाखिल किया गया और अस्पताल में जिस वार्ड में शांति अरोड़ा को रखा गया, उसमें से 30 कोविड मरीज थे। इन मरीजों के बीच इस 80 वर्षीय महिला ने अपना हौंसला नहीं छोड़ा, हालांकि इस दौरान उनके आसपास दो कोविड मरीजों की मृत्यु भी हुई और इन लोगों की डैडबाडी भी काफी देर उनकी आंखों के सामने पड़ी रही। इस मंजर को देखकर 80 वर्षीय महिला शांति अरोड़ा के हौंसले डगमगाए नहीं। उन्होंने परमात्मा को याद करते हुए अपनी हिम्मत को बनाए रखा। इस हिम्मत के कारण 15 मई को 20 दिन के संघर्ष के बाद शांति अरोड़ा कोरोना की जंग जीतकर अपने घर लौटी।

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शांति अरोड़ा ने अपने अनुभवों को परिवार के सदस्यों के बीच बैठकर सांझा करते हुए बताया कि एलएनजेपी अस्पताल में डाक्टरों, नर्सों और कर्मचारियों ने बहुत सेवा की, उनको जरा सी भी दिक्कत नहीं आने दी गई। इस महामारी के दौरान सरकारी अस्पताल के बारे में जो सुना, अस्पताल में उसके विपरित ही मिला। एलएनजेपी अस्पताल में सभी प्रकार की सुविधाएं और प्रबंध अच्छे स्तर पर किए गए। इस अस्पताल में अच्छी देखभाल के कारण ही वे जल्दी से रिकवर हो पाई है। उनके बेटे अश्विनी अरोड़ा जो कि राजकीय स्कूल में प्रिंसिपल है, ने भी बताया कि उनके परिवार में बाबैन स्कूल में अर्थशास्त्र की लेक्चरार शशि अरोड़ा भी कोरोना पॉजिटिव आ गई और ऐसे में परिवार के सभी सदस्यों ने कोविड की गाइडलाइंस की पालना की, जिसके कारण आज उनका पूरा परिवार सुरक्षित है और उनकी माता भी कोरोना को मात देकर घर लौट आई है।

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