‘धूमल चुनाव न हारते तो कभी सीएम न बनते जयराम’

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शिमला, 5 मई। मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा और किशोरी लाल ने कहा है कि जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश के इतिहास के एक्सीडेंट्ल चीफ़ मिनिस्टर हैं। अगर भाजपा के मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल वर्ष 2017 का चुनाव नहीं हारते तो वह कभी मुख्यमंत्री नहीं होते। उन्होंने कहा कि कुर्सी मिलने के बाद जयराम ठाकुर ने धूमल गुट को निपटाने के लिए कार्य किया और धड़ेबाज़ी को बढ़ावा दिया।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद हमीरपुर जिले ही नहीं बल्कि हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के साथ भेदभाव किया और एक बार भी मिलने के लिए प्रेम कुमार धूमल के घर नहीं गए। आज विपक्ष में रहते हुए जयराम ठाकुर समीरपुर की परिक्रमा कर रहे हैं और उन्हें प्रेम कुमार धूमल के साथ-साथ हमीरपुर याद आ रहा है। मोहन लाल ब्राक्टा और किशोरी लाल ने कहा कि कांग्रेस के दागी विधायकों की भाजपा में एंट्री जयराम ठाकुर की धूमल गुट को समाप्त करने की सोची-समझी चाल है। एक-एक कर जयराम ठाकुर पुरानी भाजपा के नेताओं को समाप्त करने में लगे हैं।

दोनों मुख्य संसदीय सचिवों ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश के इतिहास के सबसे नाकाम मुख्यमंत्री साबित हुए हैं। प्रदेश के लिए न तो उनका कोई विज़न था और न ही पांच साल में प्रदेश के लोगों के लिए कुछ किया। उन्होंने कहा कि आज मंडी की बात करने वाले जयराम ठाकुर बताएं कि मंडी जिले के विकास में उनका क्या योगदान है। मंडी जिले के लोग भूले नहीं हैं कि उन्होंने सिर्फ और सराज विधानसभा क्षेत्र का ही विकास किया है और मंडी जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों की अनदेखी की।

मोहन लाल ब्राक्टा और किशोरी लाल ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू एक दूरदर्शी नेता हैं। लंबे संघर्ष और कड़ी मेहनत के दम पर वह मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के विकास को लेकर उनका विज़न है। हिमाचल प्रदेश को प्रदूषण-मुक्त और आत्मनिर्भर बनाना, अनाथ बच्चों, असहाय लोगों और विधवाओं के साथ-साथ हर वंचित वर्ग को साधन संपन्न बनाने के लिए उनकी एक सोच है, जिसके लिए वर्तमान राज्य सरकार ने पिछले सवा साल के कार्यकाल में अनेक कदम उठाए हैं। जबकि पिछली भाजपा सरकार डबल इंजन की दम भरती है लेकिन 75 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ हिमाचल प्रदेश की जनता पर छोड़ कर गई थी और प्रदेश की आय बढ़ाने के लिए पिछली भाजपा सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए।

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