- ग्रेनाइड की चट्टान का वायलूम बढ़ा, बरसात में हो सकता है भूस्खलन
- मानको पर नहीं बनी चारधाम रोड, 35 डिग्री से अधिक स्लोप खतरनाक
जोशीमठ के सामने हाथी पर्वत आज सुबह भरभरा कर गिर गया। ग्रेनाइट की यह चट्टान अलकनंदा में गिरी। इससे निश्चित तौर पर चारधाम महामार्ग को भारी नुकसान पहुंचा। अलकनंदा में पानी भी ठहर गया। मिश्रा कमेटी ने 1975 में ही चेता दिया था कि जोशीमठ इलाका सबसे अधिक खतरनाक है। इसके बावजूद यहां लगातार मानवीय गतिविधियां बढ़ रही हैं।
2015 में भी हाथी पर्वत के कारण बड़ा ब्लॉकेड हुआ था और बदरीनाथ यात्रा कई दिनों बंद रही थी। वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय टेरेन में जितनी भी ग्रेनाइट हैं, इनके ज्वाइंटस आम चट्टानों की तरह नहीं होते। इनमें जो रॉक कम्पोजिशन होता है, इनमें दरारें पड़ती हैं। माइका मिनरल का नेचर है कि विस्तार और घर्षण होता है। नमी होते ही चट्टान फूल जाती है। धूप पड़ते यह सिकुड़ जाता है। इस कारण ग्रेनाइट में बड़े-बड़े क्रेक पड़ते हैं। कोल्ड क्लाइमेंटिक फिनोमिना के कारण दरारों में पाला फ्रीज होता है तो उसका वायलूम बढ़ जाता है। दरार इससे खुल जाती हैं। और चट्टान टूट जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार हाथी पर्वत की ग्रेनाइट की चट्टान टूटने का भी यही कारण हो सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि चारधाम महामार्ग निर्माण से भी यहां के पहाड़ अस्थिर हो गये हैं। उनके अनुसार चारधाम महामार्ग में मानको की अनदेखी की गयी है। चारधाम में वही मानक हैं जो दिल्ली-देहरादून या दिल्ली-लखनऊ हाईवे के हैं। जबकि पहाड़ के लिए अलग मानक होने चाहिए थे। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि बरसात में यहां भूस्खलन होने की अधिक आशंका है। मानवीय हस्तक्षेप के कारण जोशीमठ का 20 किलोमीटर का क्षेत्र खतरे में है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]