कुछ तो खास है इस बंदे में, नीयत भी है और नेक इरादे भी हैं!

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पत्रकार साथी दयाशंकर पांडे के लंबे संघर्ष को मिली सफलता
लोकतंत्र सेनानी सम्मान पेंशन का शासनादेश हुआ जारी

भले ही सीएम पुष्कर सिंह धामी राजनीति के चक्रव्यूह में बुरी तरह से फंसे हों, लेकिन उनके कुछ फैसले अटल और जनहित के होते हैं। संभवतः जमीर भी कोई चीज है, सोये-सोये थक जाता होगा तो जाग उठता है। उनका ऐसा ही एक जनहित का फैसला है लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान देने का। भाजपा की पिछली सरकारें जो काम नहीं कर सकी, वह सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कर दिखाया। लोकतंत्र सेनानियों और उनके आश्रितों को पेंशन देने का। दरअसल, भाजपा और संघ के नेता अपने समर्थकों के कंधों पर सवार होकर सत्ता पर काबिज तो हो जाते हैं लेकिन अपने कार्यकर्त्ताओं और समर्थकों की सुध नहीं लेते। लेकिन सीएम धामी ने लोकतंत्र सेनानियों और उनके परिजनों को सम्मान देते हुए लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों के लिए सम्मान पेंशन भी शुरू की है। इसके शासनादेश जारी हो गये हैं।
लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान की लड़ाई मेरे डीडी न्यूज में पत्रकार साथी दयाशंकर पांडे के नेतृत्व में लड़ी गयी। दया पिछले 6 साल से इस लड़ाई को लड़ रहे थे। सम्मान की इस पूरी लड़ाई में दया को संघ और सत्ता के कटु अनुभवों का सामना करना पड़ा लेकिन दया न तो झुका और न ही हार मानी। आखिरकार सीएम धामी ने उनकी इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचा ही दिया।
दया के पिता स्व. वल्लभभाई पांडे संघ से जुड़े एक जमीनी स्तर के कार्यकर्ता थे। वह छात्र जीवन से ही संघ और विद्यार्थी परिषद से जुड़ गये थे। आपातकाल के दौरान उनको लखनऊ विश्वविद्यालय से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। बाद में वह भारतीय मजदूर संघ के संगठन मंत्री बने। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी उन्होंने सक्रियता से भाग लिया था।
दया के अनुसार आपातकाल के दौरान संघ के कई सदस्यों को जेल की लंबी यात्रा करनी पड़ी। इसके बाद उनका करियर चौपट हो गया। सरकारी नौकरी मिली नहीं और दौलतमंद थे नहीं कि बिजनेस करते। आपातकाल की कीमत संघ के इन कार्यकर्ताओं ने चुकाई और इसका खमियाजा इनके परिजनों को भी भुगतना पड़ा।
दया कहते हैं कि सवाल पेंशन का नहीं है, बल्कि सम्मान का है। वह चाहते थे कि भाजपा सरकार आपातकाल के लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान तो दें। पिछले छह साल से वह सरकारों के चक्कर काट रहे थे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। दया के मुताबिक विधानसभा चुनाव से पूर्व जब सीएम धामी से मिले तो उन्होंने वादा किया था कि सरकार बनने पर लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों का सम्मान होगा। सीएम धामी ने अपना वादा निभाया। इस संबंध में शासनादेश जारी हो गये हैं। लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों को मिले सम्मान के लिए बधाई।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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