- मेयर गामा साब का हैप्पी वाला बर्थ डे है भाई लोगों
- लद्दाख की तर्ज पर दून की इंच-इंच जमीन को अतिक्रमण से बचा रहे
शहर में इन दिनों लोकप्रिय नेता मेयर सुनील उनियाल गामा की धूम है। जगह-जगह वो ही नजर आते हैं। आठ अक्टूबर को उनका बर्थडे है। दून के पहले नागरिक हैं तो इतना हक तो बनता ही है कि सड़कों, गलियों और चौराहों पर उनके होडिंग्स हों, क्या बुरा है। उन्होंने दून को स्मार्ट सिटी बनाने में कोई कसर रखी है क्या? चकाचक सड़कें, गड्ढा मुक्त गलियां, आरओ से कंपीटिशन करता बिंदाल और रिस्पना का पानी। दून में बारिश होती रहती है लेकिन मजाल क्या है कि किसी कालोनी में पानी भरा हो। यदि सड़क के लेवल से नीचे घर बनाओगे तो पानी भरेगा ही? नालियों में न प्लास्टिक होता है और न ही डेयरियों का गोबर। जलकुक्कड़ लोग ही शिकायत करते हैं।
पलटन बाजार हो या इंदिरा मार्केट, धर्मपुर बाजार हो या करनपुर बाजार। मजाल क्या है कि एक इंच भी अतिक्रमण हो। वो मेयर कोई और थे जिन्होंने देहरादून की 540 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा होने दिया। मेयर साब के सख्त आर्डर हैं कि इंच- इंच भूमि कीमती है। कोई अतिक्रमण न करें। दिल के दयालु हैं, पसीज जाते हैं अपने मेयर साब, इसलिए मसूरी बाईपास पर सरकारी दफ्तरों के पीछे रहने वाले झुग्गी बस्ती तक बिजली पहुंचा दी। वैसे कब्जा करने की जरूरत नहीं, लीज लेने की छूट हैं, जैसे सुना है कि उन्होंने सहारनपुर चौक पर अपने बेटे के लिए महंत से भूमि लीज पर लेकर यही साबित किया कि जमीन पर कब्जा मत करो।
कालोनियों में न तो कचरा है, न प्लास्टिक और न ही बड़ी झाड़ियां। आवारा कुत्ते दूर-दूर तक नजर नहीं आते। हां, कुछ जानवर पालक अपने मुंह लगे कुत्ते के गले में पट्टे लटकाए सुबह-सुबह पड़ोसी के गेट के आगे अपनी जॉनी या ब्रूनो का पेट साफ करवा दें तो इसमें मेयर साब की कोई गलती नहीं। बंदर तो रामजी की फौज है। बेचारे निरीह हैं, सदियां गुजर गयी, उनके लिए घर नहीं बना। यदि मेयर साब चाहें तो एमडीडीए ने जो फ्लैट्स आदमियों के लिए बनाए हैं और वो बिक नहीं रहे तो वहां बंदरों की बसावट कर सकते हैं।
देहरादून के युवा बड़े खुशनसीब हैं। उनके आगे मेयर साब ने रोजगार के नया मॉडल तैयार किया है। उन्होंने अपनी बेटी को नौकरी दिलाकर साबित किया है कि आज के युग में लड़कियां सशक्त हो रही हैं। बेटियों की राह निस्कंटक है। रही बात लड़कों की तो उनके लिए छह नंबर पुलिया और रायपुर मार्केट में ठेलियां और कार्ट उपलब्ध हैं। वो चाहें तो उनमें पकोड़े तल सकते हैं या कंडाली की चाय बेच सकते हैं।
देहरादून धन्य हो गया मेयर साहब को पाकर। मेरी सरकार से पुरजोर मांग है कि आठ अक्टूबर को देहरादून में राजकीय अवकाश घोषित हो। उस रात ठीक आठ बजे लोग अपने घरों के आगे दिये जलाएं और ताली-थाली बजाएं। दिल की गहराइयों से मेयर साहब को जन्मदिन की अग्रिम शुभकामनाएं।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]