आरती प्रथम पूज्‍यनीय गणेश जी की

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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥ जय गणेश, जय गणेश…

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय गणेश, जय गणेश…

हार चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।

मोदक का भोग लगे, सन्‍त करे सेवा ।। जय गणेश, जय गणेश…

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥ जय गणेश, जय गणेश…

आरती लक्ष्मी जी की

बाबा बालक नाथ चालीसा

 

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