सात समंदर पार से खींच लाई माटी की खुशबू

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  • शेफ सुभाष रतूड़ी दे रहे पर्वतीय व्यंजनों को नया फ्लेवर
  • मंडुवे के बर्गर, मोमो और केक कर रहे तैयार

मंडुवे का बर्गर, यह चौंकाने वाली बात है। मंडवे की रोटी बिना आटा मिलाए बनाना कठिन होता है, ऐसे में बिना मैदा के मंडुवे का बर्गर कैसे बन सकता है? भले ही आप न माने, लेकिन शेफ सुभाष रतूड़ी का दावा है कि वे मंडवे में आटे का इस्तेमाल कर बर्गर तैयार करते हैं।
देहरादून के सर्वे चौक पर न्यू दून स्पाइस रेस्टारेंट है। इस रेस्तरां में पहाड़ का स्वाद मिलेगा। यहां मंडुवे की चाय, मंडवे की काफी, मंडवे का शेक, मंडुवे की कोल्ड काफी, झंगोरे की खीर और झंगोरे की फिरनी समेत कई पहाड़ी व्यंजन उपलब्ध हैं। यहां का चौंसा भात, आलु-थिंच्वाणी, मंडुवे के मोमो, मंडुवे का सैंडविच ग्राहकों में बहुत ही लोकप्रिय है। मैं यहां अक्सर झंगोरे की लस्सी और झंगोरे का शेक पीता हूं। गजब का स्वाद है कि बार-बार पीने का मन करता है। इस रेस्तरां की सबसे खास बात यह है कि यहां हाइजीन का बहुत ध्यान रखा जाता है। साफ-सुथरा रेस्तरां और साफ सुथरे कर्मचारी
सुभाष देहरादून आने से पहले यूरोप और गल्फ के कई देशों में शेफ रह चुके हैं। कतर से वो देहरादून आ गये। इसके बाद उन्होंने इस रेस्तरां को शुरू किया और इसमें पहाड़ के व्यंजनों को प्राथमिकता दी है। सुभाष के अनुसार विदेशों में नौकरी करते हुए अपने पहाड़ की याद आती थी। लगभग चार साल पहले वो देहरादून आ गये और उन्होंने अपना रेस्तरां शुरू कर दिया। हालांकि कोरोना काल में उन्हें भी अन्य व्यवसायियों की तरह खासा आर्थिक नुकसान सहना पड़ा लेकिन अब वो नये सिरे से पर्वतीय व्यंजनों को प्रोत्साहन देने का प्रयास कर रहे हैं। शादी-समारोहों के आर्डर भी बुक कर रहे हैं।
उनके मुताबिक मंडुवे समेत पर्वतीय उत्पादों में सेहत का खजाना छिपा हुआ है। इम्युनिटी बढ़ाने और मधुमेह जैसे रोग के निदान में मंडुवे का उपयोग सार्थक साबित होता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने व्यंजनों का प्रचार-प्रसार करना होगा।
शेफ सुभाष से 9639826247 से संपर्क किया जा सकता है।
नोटः खाद्य पदार्थों के रेट में बदलाव हो सकता है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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